दोस्त और दुश्मन में क्या फर्क है || Kosare Maharaj ||

नमस्कार दोस्तों : मैं दिलीप कोसारे ( महाराज ) मानव हित कल्याण सेवा संस्था का संस्थापक, राष्ट्रीय अध्यक्ष व आरजेडी पार्टी का महासचिव ( महाराष्ट्र ) हम एक वीडियो के माध्यम से आपको और जन जागरूकता करना यही हमारा उद्देश्य हैं। अधिक जानकारी के फोन संपर्क : 9421778588 हमारी वेबसाइट : https://www.kosaremaharaj.com

dost aur dushman mein kya fark hai || Kosare Maharaj ||

 

dost aur dushman mein kya fark hai 

|| Kosare Maharaj ||


दोस्त और दुश्मन में कई तरह के फ़र्क होते हैं दोस्ती एक बिना शर्त के भरोसे का रिश्ता होता है. वहीं, दुश्मनी एक बिना शर्त के दुश्मनी का रिश्ता होता है। दोस्त आपके अच्छे और बुरे समय में आपके साथ रहते हैं । वहीं, दुश्मन केवल अच्छे समय में ही आपका साथ देते हैं । दोस्त आपके बारे में सब कुछ जानते हैं । वहीं, दुश्मन आपके बारे में अफ़वाहें फैलाते हैं। दोस्त कभी आपको चोट नहीं पहुंचाते. वहीं, दुश्मन आपको चोट पहुंचाने या कमज़ोर करने की कोशिश करते हैं। दोस्ती आपके लिए प्रगति और ताकत का कारण बनती है। वहीं, दुश्मनी आपके लिए नुकसानदायक और प्रगति में बाधा बनती है ।




उपरोक्त वीडियो पर क्लिक करके देखिये




शत्रु होने से सही लाभ क्या होता है :


शत्रु होने से सही लाभ यह होता है कि इससे धैर्य और संयम बढ़ता है, जिससे सही समय पर सही निर्णय लेने में मदद मिलती है. बिना सोचे-समझे कोई कदम उठाना नुकसानदेह हो सकता है.




हम दुश्मन से बदला कैसे लें :


जब भी आप दुश्मन के सामने होते हैं, तो अक्सर आपके सामने चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ आती हैं. इन परिस्थितियों में, धैर्य और संयम बनाए रखना आपको सही समय पर सही निर्णय लेने में मदद करता है. बिना सोचे-समझे किया गया कोई भी कदम नुकसानदेह हो सकता है. इसलिए, धैर्य और संयम से काम लेना हमेशा फायदेमंद साबित होता है




हमारे लिए दुश्मन होना अच्छा क्यों है :




अपने सामने आने वाले विरोध को स्वीकार करें, क्योंकि यह व्यक्तिगत विकास, नए गठबंधन और अंततः एक मजबूत, अधिक दृढ़ चरित्र की ओर ले जा सकता है। याद रखें कि सही कारणों से दुश्मन बनाना आपके साहस और दृढ़ विश्वास का प्रमाण है, और इसे अपने विश्वास के लिए खड़े रहने के लिए प्रेरणा के रूप में काम करने दें।




हमारे दुश्मन से कैसे जीता जा सकता है :


दुश्मन को मात देने के लिए हर पहलू को ठंडे दिमाग से सोचें-समझें और फिर कदम उठाएं. शत्रु के सामने आपको अपनी हार नज़र आ भी रही हो, तो भी धैर्य न खोएं. दुश्मन को कम न आंके और अपनी महत्वपूर्ण योजनाओं को हर किसी के साथ साझा न करें. यदि शत्रु हमसे अधिक शक्तिशाली है तो उसके अनुकूल चलना चाहिए.




इंसान का सबसे सच्चा मित्र कौन है :


मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र एक ही होता है " ज्ञान ऐसे समय में भी जब उसकी परछाई भी उसका साथ छोड़ देती है जब कोई अपारदर्शी वस्तु प्रकाश के मार्ग में आ जाती है तो प्रकाश उसके आर पार नहीं जा पाता ऐसे में उस वस्तु के दूसरी ओर प्रकाशहीन क्षेत्र बन जाता है ज्ञान, ही इन्सान का अच्छा दोस्त होने का अपना फर्ज निभाता है - हमारे देश में हो या परदेश में।




दुश्मन की पहचान कैसे होती है :


दुश्मन की पहचान उसके आचरणों से प्रकट हो जाते हैं। चाहे वह कितना भी दबाने की कोशिश करें, फिर भी उजागर हो ही जाती है। उसका छल कपट, झूठ और फरेब सब कुछ शरीर से व्यक्त हो जाता है। बस नजरें पहचानने वाली होनी चाहिए ।




इंसान का सबसे सच्चा मित्र कौन है :


मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र एक ही होता है " ज्ञान ऐसे समय में भी जब उसकी परछाई भी उसका साथ छोड़ देती है जब कोई अपारदर्शी वस्तु प्रकाश के मार्ग में आ जाती है तो प्रकाश उसके आर पार नहीं जा पाता ऐसे में उस वस्तु के दूसरी ओर प्रकाशहीन क्षेत्र बन जाता है ज्ञान, ही इन्सान का अच्छा दोस्त होने का अपना फर्ज निभाता है - हमारे देश में हो या परदेश में।




दुश्मन की पहचान कैसे होती है :


दुश्मन की पहचान उसके आचरणों से प्रकट हो जाते हैं। चाहे वह कितना भी दबाने की कोशिश करें, फिर भी उजागर हो ही जाती है। उसका छल कपट, झूठ और फरेब सब कुछ शरीर से व्यक्त हो जाता है। बस नजरें पहचानने वाली होनी चाहिए ।


कार्यालयीन पत्ता :


नेहा   अपार्टमेंट फ्लैट नंबर २०२, दूसरा मजला, उमरेड रोड, रामकृष्ण नगर, नागपुर-४४००३४.
कोसारे महाराज 👉 संस्थापक ( राष्ट्रीय अध्य्क्ष )
मानव हित कल्याण सेवा संस्था नागपुर ( महाराष्ट्र प्रदेश )
राष्ट्रीय जनता दल ( महासचिव महाराष्ट्र )

अधिक जानकारी के लिए फोन संपर्क 📲 ९४२१७७८५८८ / ९४२२१२७२२१

Post a Comment

0 Comments