महिलाओं के अत्याचार को समाज से कैसे रोके || Kosare Maharaj ||

नमस्कार दोस्तों: मैं दिलीप कोसारे ( महाराज ) मानव हित कल्याण सेवा संस्था का संस्थापक, राष्ट्रीय अध्यक्ष व आरजेडी पार्टी का महासचिव ( महाराष्ट्र ) हम एक वीडियो के माध्यम से महिलाओं पर अत्याचार होने के विषय पर हम बात करेंगे की जो महिलाओं पर आज अत्याचार समाज में हो रहा हैं उसे हम आगे कैसे रोकेंगे महिलाओं के अधिकारों को आज भी हज़ारों सालों से उनके जो अधिकार हैं वह उनसे आज भी छीना जा रहा है। इतनी सख्त धारा कलम प्रावधान रहने के बावजूद भी सरकारों ने इतने कड़े कदम उठाने के बावजूद भी यह सब हजारो वर्षो से यह जो खेल चल रहा हैं अपनी पुरानी रूढ़ि परमपरा के वजह से वही अपनी पुराणी विचारधारा के कारण से यह सारे झगडो की पिसाद हैं अधिक जानकारी के फोन संपर्क : 9421778588 हमारी वेबसाइट : https://www.kosaremaharaj.com


 

महिलाओं के अत्याचार को समाज से कैसे रोके 

|| Kosare Maharaj ||


 


दिलीप कोसारे ( महाराज ) मानव हित कल्याण सेवा संस्था का संस्थापक, राष्ट्रीय अध्यक्ष व आरजेडी पार्टी का महासचिव

( महाराष्ट्र ) द्वारा एक वीडियो महिलाओं के अधिकारों को आज भी हज़ारों सालों से उनसे छीना जा रहा है। जो महिलाओं पर आज अत्याचार समाज में हो रहा हैं उसे हम आगे कैसे रोकेंगे महिलाओं के अधिकारों को आज भी हज़ारों सालों से उनके जो अधिकार हैं वह उनसे आज भी छीना जा रहा है। इतनी सख्त धारा कलम प्रावधान रहने के बावजूद भी सरकारों ने इतने कड़े कदम उठाने के बावजूद भी यह सब हजारो वर्षो से यह जो खेल चल रहा हैं अपनी पुरानी रूढ़ि परमपरा के वजह से वही अपनी पुराणी विचारधारा के कारण से यह सारे झगडो की पिसाद हैं


मानवाधिकारों का हक है :

हर किसी को बुनियादी मानवाधिकारों का हक है जैसे अच्छे तरीके से जीवन जीने का अधिकार, भेदभाव से मुक्ति का अधिकार, शिक्षा का अधिकार , इत्यादि। हालाँकि, हज़ारों सालों से - और आज भी - महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की उपेक्षा की जाती रही है, उन्हें धमकाया जाता रहा है और उनसे उनका हक छीना जा रहा है।

महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को रोकने के लिए, समाज में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ कई और उपाय किए जा सकते हैं:


शिक्षा :


शिक्षा के ज़रिए महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता, गैर-रूढ़िवादी लिंग भूमिकाएं, और अहिंसक संघर्ष समाधान के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए


कानूनी प्रणाली :


महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा को प्रभावी ढंग से निपटाने के लिए कानूनी प्रणाली को और भी मज़बूत बनाना चाहिए



समुदाय संगठन :


समुदायों को संगठित करके, रोकथाम कार्यक्रमों के प्रति उनका समर्थन हासिल किया जा सकता है.



सहायता सेवाएं :


हिंसा के पीड़ितों के लिए विशेषज्ञ सहायता सेवाएं उपलब्ध करानी चाहिए.



आर्थिक सशक्तीकरण :


महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए संसाधनों तक पहुंच बढ़ाई जानी चाहिए.


लिंग परिप्रेक्ष्य :


विकास प्रक्रिया में लिंग परिप्रेक्ष्य को मुख्यधारा में लाना चाहिए.


नीतियों का निर्माण :


निजी क्षेत्र और मीडिया को महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को रोकने के लिए नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में शामिल किया जाना चाहिए.

महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का मतलब सिर्फ़ शारीरिक हिंसा नहीं है. इसमें यौन, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, और वित्तीय दुर्व्यवहार भी शामिल है.

महिलाओं के खिलाफ सामाजिक अपराधों को रोकने के लिए कानून और इसके प्रवर्तन पर लोगों को शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उद्देश्य महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों जैसे बलात्कार, दहेज हत्या, पत्नी की पिटाई, शराबखोरी, छेड़छाड़ आदि की रोकथाम के लिए प्रचार, प्रसार और शोध कार्य को बढ़ावा देना चाहिए।



महिलाओं पर हो रहे अत्याचार का मूल कारण क्या है :


नारी पर सदियों से हो रहे अत्याचारों के मूल में नारी को बन्धक बनाने वाले कारणों में मुख्य कारण उसकी आर्थिक पराधीनता रही है, उसे घर की चारदीवारी में शिक्षा, विचार, व्यवहार, भ्रमण और रूचियों से काटकर पारिवारिक जनों के सेवार्थ बन्दी बना कर रखा गया था।




समाज में महिलाओं की स्थिति को कैसे सुधारा जा सकता है :




महिलाओं की स्थिति में सुधार- समय बीतने के साथ सरकार ने महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए कई कानून बनाए। स्त्री शिक्षा को अनिवार्य किया गया। लड़की की मर्जी के बगैर शादी पर प्रतिबंध लगाया गया| तलाक को कानूनी दर्जा दिया गया| अब महिलाएँ अपनी मर्जी के अनुसार किसी भी हुनर के लिए ट्रेनिंग ले सकती हैं इस महिलाओ ने ज्यादा से ज्यादा फोकस करना चाहिए ।



महिला उत्पीड़न के लिए कौन सी धाराएं हैं :


गंभीर बनाया गया तथा धारा 354 ए, धारा 354 बी, धारा 354 सी तथा धारा 354 डी को जोडा गया । मौजूदा प्रावधान के तहत भारतीय दण्ड संहिता धारा 354 के तहत छेड़छाड़ मामले में दोषी पाये जाने पर अधिकतम पांच साल तथा कम-से-कम एक साल की सजा का प्रावधान किया गया है तथा इसे गैर-जमानतीय अपराध बनाया गया है ।




महिलाओं का शोषण आज के समाज में कैसे किया जाता है :




महिलाओं के खिलाफ हमलावरों व समाज द्वारा अपनाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों शारीरिक शोषण, मावनात्मक शोषण, गाली-गलोच, मनोवेज्ञानिक दुव्यर्वहार, आर्थिक शोषण, ताना मारना आदि हैं। घरेलू हिंसा न केवल विकासशील या अल्प विकसित देशों की समस्या है बल्कि यह विकसित देशों में भी बहुत प्रचलित हैं ।



महिलाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या क्या है :


भारत में स्त्रियों के लिए कई सामाजिक, आर्थिक, नैतिक और मानसिक समस्याएं हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या महिलाओं के सामाजिक निर्धारण, वर्चुअल हारसमेंट और घरेलू हिंसा है।




समाज में महिलाओं को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है :


भारत में महिलाओं को बहुआयामी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें शिक्षा में लैंगिक असमानता, कार्यस्थल पर असमानता, हिंसा, बाल विवाह और स्वास्थ्य देखभाल में असमानताएं शामिल हैं




हमारे समाज में एक महिला की मुख्य भूमिका क्या है :




महिलाएं परिवार में सतत विकास और जीवन की गुणवत्ता की कुंजी हैं। परिवार में महिलाएं विभिन्न भूमिकाएं निभाती हैं जैसे पत्नी, नेता, प्रशासक, परिवार की आय की प्रबंधक और सबसे महत्वपूर्ण, माँ।



समाज में महिलाओं के क्या अधिकार हैं :


इनमें हिंसा और भेदभाव से मुक्त रहने का अधिकार; शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्त करने योग्य मानक का आनंद लेने का अधिकार; शिक्षित होने का अधिकार; संपत्ति का मालिक होने का अधिकार; वोट देने का अधिकार; और समान वेतन पाने का

घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार

कार्यस्थल पर अधिकार

निजता का अधिकार

कानूनी समाधान प्राप्त करने का अधिकार

अपने अधिकारों का दावा करने में सहायता पाने का अधिकार

भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए कानूनी प्रावधान भी हैं:

भारतीय संविधान की धारा 498 ( A) के तहत, घरेलू हिंसा से महिलाओं को सुरक्षा मिलती है. ऐसे बहुत सारे महिलाओं के लिए अधिकार शामिल है।

विवाहित महिलाओं को अपने स्त्रीधन पर पूरा अधिकार होता है.

महिलाओं को अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी मिलती है.

महिलाओं को अपने अधिकारों के उल्लंघन के लिए न्यायालयों और कानूनी मंचों पर जाया जा सकता है.




महिलाओं के कौन-कौन से अधिकार होते हैं :




इनमें हिंसा और भेदभाव से मुक्त रहने का अधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य तक पहुँच का अधिकार, संपत्ति का स्वामित्व रखने का अधिकार, वोट देने का अधिकार और समान काम के लिए समान वेतन का अधिकार शामिल है।



भारत में महिलाओं के अधिकार क्या हैं :


महिलाओं के लिए मौलिक अधिकार भारतीय संविधान द्वारा गारंटीकृत मुख्य अधिकार हैं, जो समानता और सशक्तिकरण सुनिश्चित करते हैं। 5 महत्वपूर्ण अधिकारों में समानता, सम्मान और शालीनता, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, राजनीतिक भागीदारी, घरेलू हिंसा से सुरक्षा और कार्यस्थल पर अधिकार शामिल हैं।




शादी के बाद पत्नी के क्या अधिकार हैं :


शादी के बाद वाइफ को अपने ससुराल में रहने का पूरा अधिकार है। वह घर हस्बैंड द्वारा बनाया गया, किराये का, जॉइंट फैमिली का या फिर पुश्तैनी घर हो सकता है। विधवा महिला को भी उसके मृत हस्बैंड के घर में रहने का हक़ दिया गया है।




एक विवाहित महिला के क्या अधिकार हैं :


भारत में पत्नी को अपने सभी स्त्रीधन पर पूर्ण स्वामित्व का कानूनी अधिकार है। अगर पति और ससुराल वाले महिला को स्त्रीधन देने से इनकार करते हैं तो उन पर आपराधिक आरोप लगाए जा सकते हैं। ऐसे मामलों में जहां सास अपनी बहू का स्त्रीधन रखती है और बिना किसी कानूनी वसीयत के मर जाती है, विवाहित महिला को उस पर कानूनी अधिकार होता है।




महिला पर हाथ उठाने पर कौन सी धारा लगती है :


इस स्थिति में एक से लेकर पांच वर्ष तक के कारावास और साथ ही जुर्माने का प्रावधान है। इसके अंतर्गत अपराध संज्ञेय है और कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। दंड संहिता (संशोधन 2008) की धारा 23 (2) द्वारा दिनांक 31-12-2009 से इस धारा के अधीन अपराध को अशमनीय बनाया गया है। क्या यह आपके समय के हिसाब से उपयुक्त था?



जेंडर लॉ क्या है :


समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 (ई.आर.ए.) एक लैंगिक भेदभाव रहित और समानता आधारित कानून का प्रावधान करता है, जो यह अनिवार्य करता है कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान या समान कार्य के लिए समान पारिश्रमिक का भुगतान किया जाना चाहिए, जिससे उन्हें काम पर समान लाभ और आर्थिक अवसर प्रदान किए जा सकें।




पति की कमाई पर पत्नी का कितना हक है :


हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के मुताबिक, पत्नी का अपने ससुराल या पति की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। पत्नी का हक सिर्फ उसके पति की अर्जित की गई संपत्ति पर हो सकता है। पति की मौत के बाद यानी विधवा का अपने ससुराल की संपत्ति पर अधिकार होता है। वह उतना हिस्सा पा सकती है, जितना उसके पति का बनता हो।




पत्नी को छोड़ने पर कौन सी धारा लगती है :


गुज़ारा भत्ता अधिनियम धारा 125 का उपयोग अधिकांशत: भारतीय विवाहित स्त्रियों द्वारा ही किया जाता है। अगर पति ने पत्नी को छोड़ दिया है या तलाक़ दे दिया है, तो महिलाएं धारा 125 के तहत हक़ मांग सकती हैं।




पति पर पत्नी के कानूनी अधिकार क्या हैं :


हिंदू विवाह अधिनियम (एचएमए), 1955 में विवाहित महिला के लिए अपने माता-पिता के घर लौटने का कोई प्रावधान नहीं है। उसे पति के ऊपर पत्नी का कानूनी अधिकार है कि वह जब चाहे तब अपने घर में रह सकती है। पति के ऊपर पत्नी के महत्वपूर्ण कानूनी अधिकारों में से एक वैवाहिक घर का अधिकार है।




पति का अपनी पत्नी पर क्या अधिकार है :


हिंदू विवाह अधिनियम 1955 महिलाओं को पति की स्वीकृति के बिना तलाक लेने का कानूनी अधिकार देता है। व्यभिचार, क्रूरता, परित्याग, वैवाहिक घर से बेदखल होना, मानसिक बीमारी और अन्य कारणों का इस्तेमाल तलाक लेने के लिए किया जा सकता है। अधिनियम आपसी सहमति से तलाक की भी अनुमति देता है।




क्या पति पत्नी को मायके जाने से रोक सकता है :


जवाब: अगर पत्नी बिना वजह घर छोड़कर चली जाती है और वापस नहीं आती है तो पति हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 के तहत डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एप्लिकेशन दे सकता है। वो मांग कर सकता है कि कोर्ट पत्नी को वापस घर लौटने का आदेश दे।




फोन पर गाली देने पर कौन सी धारा लगती है :




एक दूसरे को गंदी गालियां देना भारतीय दंड संहिता की धारा 294 में एक दंडनीय अपराध है। बता दें कि धारा 294 में दोनों पक्ष राजीनामा भी नहीं कर सकते क्योंकि गालियां देने से केवल पीड़ित पक्षकार को तकलीफ नहीं होती, बल्कि जहां यह गाली गलौच हो रही होती है वहां मौजूद आसपास के आम लोगों को भी काफी परेशानी होती है।



कार्यालयीन पत्ता  :

हा अपार्टमेंट फ्लैट नंबर २०२, दूसरा मजला, उमरेड रोड, रामकृष्ण नगर, नागपुर-४४००३४.
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मानव हित कल्याण सेवा संस्था नागपुर ( महाराष्ट्र प्रदेश )
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