maulik adhikar aur maulik kartavy | kosare maharaj

नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप सब लोग : मौलिक अधिकार व मौलिक कर्तव्य | कोसारे महाराज के वेबसाइट पर इस पोस्ट का टॉपिक हैं मौलिक अधिकार fundamental rights व मौलिक कर्तव्य fundamental duties इस वीडियो और पोस्ट के माध्यम से हम भारतीय नागरिक को जागरूकता कर रहे हैं १. मौलिक अधिकार Fundamental Rights २. मौलिक कर्तव्य Fundamental Duties के बारे में ३. मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य में क्या अंतर होता हैं अधिक जानकारी के फोन संपर्क : 9421778588

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 मौलिक अधिकार व मौलिक कर्तव्य | कोसारे महाराज

आप भारत के नागरिक हैं तो आपको यह पता होना चाहिए की आपके सविंधान में कौन कौन से मौलिक अधिकार व मौलिक कर्तव्य दिए हैं आप एक जागृत नागरिक और एक भारतीय नागरिक होने नाते से सबसे पहले आपको अपने अधिकारों के बारे में और अपने कर्तव्य के बारे में जरूर पता होना चाहिए चलो बात करते हैं साधारण भाषा में मौलिक अधिकार fundamental rights





देखिये आप भारत के नागरिक हैं तो आपको यह पता होना चाहिए की आपके सविंधान में कौन कौन से मौलिक अधिकार व मौलिक कर्तव्य दिए हैं आप एक जागृत नागरिक और एक भारतीय नागरिक होने नाते से सबसे पहले आपको अपने अधिकारों के बारे में और अपने कर्तव्य के बारे में जरूर पता होना चाहिए चलो बात करते हैं साधारण भाषा में मौलिक अधिकार fundamental rights

संविधान द्वारा मूल रूप से सात मूल अधिकार प्रदान किए गए थे- समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
सातवा जो है संपत्ति का अधिकार लेकिन मैं आपको एक बता दू की सातवा संपत्ति का अधिकार अब मौलिक अधिकार नहीं रह हैं


जब भारत का संविधान लागू हुआ तो इसने मूल रूप से अपने नागरिकों को सात मौलिक अधिकार दिए थे । हालाँकि, 1978 में 44 वें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटा दिया गया था।



7 मौलिक अधिकार और कर्तव्य क्या हैं :


(i) समानता का अधिकार, (ii) स्वतंत्रता का अधिकार, (iii) शोषण का अधिकार, (iv) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, (v) सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार, (vi) संवैधानिक उपचारों का अधिकार । मौलिक अधिकार न्याय संगत है परन्तु असीमित नहीं है ।



अब भारत का संविधान छह मौलिक अधिकार प्रदान करता है:


१. हमारा मौलिक अधिकार है : समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18) प्रावधान किया गया है


२. हमारा मौलिक अधिकार है : स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22) प्रावधान किया गया है


३. हमारा मौलिक अधिकार है : शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24) प्रावधान किया गया है


४. हमारा मौलिक अधिकार है : धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28) प्रावधान किया गया है


५. हमारा मौलिक अधिकार है : संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30) प्रावधान किया गया है


६. हमारा मौलिक अधिकार है : संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) प्रावधान किया गया है


भारतीय संविधान आप सभी को एक जागृत नागरिक और एक भारतीय नागरिक होने नाते से सबसे पहले आप सभी को यह सोचना चाहिए की और सबसे पहले हमको यह समझना चाहिए की हमको संविधान किस चीज की व अधिकारों की गारंटी देता है?




मौलिक अधिकार कहाँ से लिया गया है :



भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं के रूप में मौलिक अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया था।

हम अक्सर कार्यकर्ताओं में या आम लोगों के बारे में सुनते हैं की जो अपने मानवाधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। लेकिन ये अधिकार क्या हैं? और हमें ये अधिकार किसने दिये? लोगों को अपने अधिकारों के लिए क्यों लड़ना पड़ता है? आइए अधिकारों और मौलिक अधिकारों के बारे में और विस्तारपूर्वक जानें।

मौलिक अधिकार भारत के संविधान की धाराएं हैं जो लोगों को उनके अधिकार प्रदान करती हैं। इन मौलिक अधिकारों को सभी नागरिकों के बुनियादी मानवाधिकारों के रूप में माना जाता है, चाहे उनका लिंग , जाति , धर्म या पंथ कुछ भी हो। आदि ये धाराएं संविधान के महत्वपूर्ण तत्व हैं, जिसे 1947 से 1949 के बीच भारतीय संविधान द्वारा विकसित किया गया था।

भारत में छह मौलिक अधिकार हैं। वे समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार , शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार , सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार हैं।




 समानता का अधिकार :



समानता का अधिकार सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करता है। समानता का अधिकार जाति, धर्म, जन्म स्थान, नस्ल या लिंग के आधार पर असमानता को रोकता है। यह सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता भी सुनिश्चित करता है और राज्य को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थान, निवास स्थान या इनमें से किसी के आधार पर रोजगार के मामलों में किसी के साथ भेदभाव करने से रोकता है।



स्वतंत्रता का अधिकार :



स्वतंत्रता का अधिकार हमें विभिन्न अधिकार प्रदान करता है। ये अधिकार हैं बोलने की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, बिना हथियारों के सभा की स्वतंत्रता, हमारे देश के पूरे क्षेत्र में आंदोलन की स्वतंत्रता, संघ की स्वतंत्रता, किसी भी पेशे का अभ्यास करने की स्वतंत्रता, देश के किसी भी हिस्से में रहने की स्वतंत्रता। हालाँकि, इन अधिकारों की अपनी सीमाएँ हैं।



शोषण के विरुद्ध अधिकार :




शोषण के विरुद्ध अधिकार मानव तस्करी, बाल श्रम, जबरन श्रम की निंदा करता है और इसे कानून द्वारा दंडनीय अपराध बनाता है, और किसी व्यक्ति को बिना मजदूरी के काम करने के लिए मजबूर करने के किसी भी कार्य पर रोक लगाता है जहां वह कानूनी रूप से काम न करने या इसके लिए पारिश्रमिक प्राप्त करने का हकदार था। जब तक कि यह सार्वजनिक उद्देश्य के लिए न हो, जैसे सामुदायिक सेवाएँ या एनजीओ कार्य।




धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार :



धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है और भारत में धर्मनिरपेक्ष राज्यों को सुनिश्चित करता है। संविधान कहता है कि राज्यों को सभी धर्मों के साथ समान और निष्पक्ष व्यवहार करना चाहिए और किसी भी राज्य का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है। यह सभी लोगों को अंतरात्मा की स्वतंत्रता और अपनी पसंद के किसी भी धर्म का प्रचार, अभ्यास और प्रचार करने के अधिकार की गारंटी भी देता है।




सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार :




सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को उनकी विरासत को संरक्षित करने और भेदभाव से बचाने में सक्षम बनाकर उनके अधिकारों की रक्षा करते हैं। शैक्षिक अधिकार जाति, लिंग, धर्म आदि की परवाह किए बिना सभी के लिए शिक्षा सुनिश्चित करते हैं।




संवैधानिक उपचारों का अधिकार :



संवैधानिक उपचारों का अधिकार नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ प्रवर्तन या सुरक्षा के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में जाने को सुनिश्चित करता है। सर्वोच्च न्यायालय के पास निजी निकायों के खिलाफ भी मौलिक अधिकारों को लागू करने और किसी भी उल्लंघन के मामले में प्रभावित व्यक्ति को मुआवजा देने का अधिकार क्षेत्र है।


देश में कहीं भी संपत्ति के स्वामित्व, अधिग्रहण और निपटान की स्वतंत्रता की गारंटी भारत के संविधान द्वारा नहीं दी गई है। भारतीय संविधान संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता नहीं देता है।



भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 - 35 में मौलिक अधिकार दिये गये हैं। ये अधिकार प्रत्येक नागरिक के व्यक्तित्व विकास में मदद करते हैं और उसकी गरिमा की रक्षा करते हैं। मौलिक कर्तव्य देश के प्रति भारतीय नागरिकों की जिम्मेदारी है। संविधान के अनुच्छेद 51(ए) में 11 मौलिक कर्तव्य दिये गये हैं।



यदि अधिकारों के साथ कर्तव्य न जुड़े हो तो अधिकार निर्थक हो जाते हैं यदि हम एक नागरिक के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं करते तो अन्य लोग अपने अधिकारों का आंनद नहीं ले सकते। इतना ही नहीं बल्कि राज्य भी हमारी रक्षा करने तथा हमारी आवशयकता जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, मकान, पानी इत्यादि को पूरा करने के अपने दायित्व का ठीक ढंग से पालन नहीं कर सकेगा। इसलिए महसूस किया गया हैं की भारत के सविंधान में मौलिक कर्तव्य को शामिल किया जाना चाहिए।




संविधान के असली लेखक कौन है :



भारतीय संविधान विश्व में सबसे लंबा लिखित संविधान है । जिसे डॉ भीमराव


बाबासाहेब अंबेडकर जी ने लिखकर 26 नवंबर 1949 को तैयार किया था ।
संविधान में कितने कलम हैं?


मूल रूप से, 26 नवंबर, 1949 को अपनाए गए संविधान में एक प्रस्तावना, 22 भागों में 395 अनुच्छेद और आठ अनुसूचियाँ शामिल थीं। वर्तमान में, 1950 में इसके अधिनियमन के बाद से 104 संशोधनों के कारण अनुच्छेदों की संख्या बढ़कर 448 हो गई है। इसके अलावा, संविधान में अब 25 भाग और 12 अनुसूचियाँ हैं।


भारतीय संविधान के 11 महत्वपूर्ण 'मौलिक कर्तव्य' कौन से है ? जानें


भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों की व्यापक चर्चा की गयी है. इसमें उन बातों को सम्मलित किया गया है, जो देश के सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य होते है. मौलिक कर्तव्यों का राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण स्थान होता है.चलिये जानें इनके बारें में.


मौलिक कर्तव्य नागरिकों में देश प्रेम की भावना बढ़ाने साथ ही राष्ट्रीय विचारों को सृजित करने के लिए उत्तरदायी होते है. मौलिक कर्तव्य देश के नागरिकों को स्वतंत्रता संग्राम के महान विचारों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करते है. मौलिक कर्तव्य संस्कृति के निर्माण और प्रचार-प्रसार के साथ-साथ मौलिक अधिकारों को लागू करने में विधायिका को शक्ति प्रदान करते है.


मौलिक कर्तव्य क्या है :


मौलिक कर्तव्य में उन बातों को शामिल किया गया है, जो देश के सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य होते है. मौलिक कर्तव्यों को राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण माना जाता है. मौलिक कर्तव्य नागरिकों में देश प्रेम की भावना, राष्ट्रीय विचारों को बढ़ावा देने के लिए उत्तरदायी होते है. यह अवधारणा पूर्व सोवियत संघ के संविधान से लिया गया है.




मौलिक कर्तव्यों का महत्व:


मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकारों का एक अभिन्न अंग हैं. मौलिक कर्तव्य भारतीय नागरिकों को उनके समाज, नागरिकों और राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्यों की याद दिलाते हैं. साथ ही ये नागरिकों को राष्ट्र-विरोधी और असामाजिक गतिविधियों के प्रति आगाह भी करते है. मौलिक कर्तव्य नागरिकों में अनुशासन और प्रतिबद्धता की भावना को बढ़ावा देते है.




42वें संशोधन के तहत जोड़ा गया:


भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों का वर्णन संविधान निर्माण के समय नहीं था. इसे बाद में 42वें संशोधन के तहत जोड़ा गया था. साथ ही इसे वर्ष 1976 में अपनाया गया था. मौलिक कर्तव्यों की चर्चा संविधान के भाग 4A में की गयी है. भारतीय संविधान में इसका विवरण अनुच्छेद 51A में शामिल किया गया है.



मौलिक कर्तव्यों की आवश्यकता 1975-77 के आंतरिक आपातकाल के दौरान महसूस की गई थी. 1976 के 42 वें संशोधन अधिनियम ने भारतीय संविधान में 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए. 86 वें संशोधन अधिनियम 2002 के मध्यम से एक और मूल कर्तव्य और जोड़ा गया इसके बाद अब 11वां मूल कर्तव्य हो गए हैं .



भारतीय संविधान के 11 मौलिक कर्तव्य:


अनुच्छेद 51-A के तहत प्रत्येक भारतीय नागरिकों द्वारा पालन किए जाने वाले 11 मौलिक कर्तव्यों की हम बात कर रहे हैं यह भी सभी देश के भारतीय नागरिक को इसकी जानकारी होना भी जरुरी हैं .


क्र.सं
हमारा मौलिक कर्तव्यों हैं


1. भारतीय संविधान का पालन करें और राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान के साथ -साथ संविधान के आदर्शों और संस्थानों का सम्मान करें.


2. स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों का पालन करें.


3. भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखें और उसकी रक्षा करें.


4. देश की रक्षा करें और आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रीय सेवा भी प्रदान करें.


5. धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या अनुभागीय विविधताओं से परे भारत के सभी नागरिकों के बीच सद्भाव और समान बंधुता की भावना को बढ़ावा देना और महिलाओं की गरिमा के लिए अपमानजनक प्रथाओं का त्याग करना.


6. देश की मिश्रित संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व दें और उसका संरक्षण करें.


7. वनों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण और सुधार करें साथ ही जीवित प्राणियों के प्रति दया की भावना बनाये रखें.


8. वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद तथा जिज्ञासा एवं सुधार की भावना को विकसित करें


9. सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करें और हिंसा से दूर रहें.


10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की दिशा में प्रयास करें ताकि राष्ट्र लगातार प्रयास और उपलब्धि के उच्च स्तर तक पहुंच सके.


11. छह से चौदह वर्ष की आयु के बीच के बच्चे या प्रतिपाल्य को शिक्षा के अवसर प्रदान करें.


पहले आपको बता दिया था की 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए हैं उसके बाद 86 वें संशोधन अधिनियम 2002 के मध्यम से एक और मूल कर्तव्य और जोड़ा गया इसके बाद अब 11वां मौलिक कर्तव्य भी जोड़ दिया गया हैं।

इस वीडियो को देखने के लिए और आपने अपना कीमती समय देकर इस वीडियो को देख़ने और सुनने को दिया हैं उसके लिए आपको कोसारे महाराज के तरफ से बहुत बहुत धन्यवाद नमस्कार दोस्तों जय हिन्द जय भारत



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