क्या नेता पैदा होते हैं या बनाये जाते हैं : कोसारे महाराज
क्या नेता पैदा होते हैं या बनाये जाते हैं?
“नेता पैदा नहीं होते, बनाये जाते हैं। और वे किसी भी अन्य चीज़ की तरह ही कड़ी मेहनत से बनाए जाते हैं।'
नेता पैदा होते हैं या बनाये जाते हैं :
कुछ लोग आवश्यक गुणों के साथ पैदा होते हैं जो उन्हें दूसरों से अलग करते हैं और इन गुणों के परिणामस्वरूप वे सत्ता के पदों को भरने में सक्षम होते हैं और अधिकार रखते हैं ।
तो अभी भी वही सवाल अभी भी कायम है: क्या नेता पैदा होते हैं या बनाये जाते हैं? एक सिक्के के दोनों पहलू में सच्चाई है. हालाँकि, महान नेता कई क्षेत्रों में निपुण होते हैं - जिनमें से अधिकांश समय के साथ सीखे जाते हैं।
चाहे किसी बढ़ते व्यवसाय का प्रबंधन करना हो या किसी बड़े निगम का नेतृत्व करना हो, या गरीबी के रेखाओं के स्तरों से ऊपर उठाना हो गरीबी रेखा मौद्रिक आय की वह सीमा है जो किसी व्यक्ति को जीवन जीने की बुनियादी सुविधाओं को वहन करने के लिए होनी चाहिए। उनके हर जरूरते को पूरा करना जैसे की रहने के लिए घरकुल योजना में मदद करना दवा से लेकर बच्चों को कम दरों में शिक्षा की प्राप्ति हो ऐसी स्कीम को तैयार करना यही तो नेता अपनी प्राकृतिक प्रतिभा और किसी व्यक्ति या गरीब वर्गों के लोगो की मदद करने के लाभकारी गुणों को विकसित करके उभरते हैं
एक अच्छा नेता की भूमिका क्या होती हैं :
एक अच्छा नेता की भूमिका दूसरों को प्रशिक्षित करता , कार्यकर्त्ताओ को मार्गदर्शन करता और प्रेरित करता है। वे चुनौतीपूर्ण समय में टीमों को प्रेरित करते हैं और व्यक्तियों को उनके करियर की प्रगति में मार्गदर्शन करते हैं। एक नेता टीमों को एकजुट रखने और साझा लक्ष्यों की दिशा में काम करने के लिए व्यक्तियों का प्रबंधन करता है। वे सहयोगात्मक संस्कृति को बढ़ावा देते हैं और उदाहरण पेश करके नेतृत्व करते हैं
नेता के कार्य क्या है :
नेता कार्यों को अपने अनुयायियों के बीच बाँट देता है और स्वयं उनकी क्रियाओं का निरीक्षण करता है । कभी-कभी समूह के उद्देश्यों को शीघ्र प्राप्त करने के लिये उपसमिति का निर्माण करता है । इसके बाद उस उपसमिति को एक विशेष प्रकार का कार्यभार दे देता है और स्वयं उसकी देखभाल करता है ।
नेतृत्व का महत्व क्या है :
नेता दिशा और दृष्टि प्रदान करते हैं, दूसरों को प्रेरित करते हैं और टीम के सदस्यों के बीच संचार और सहयोग को बढ़ावा देकर सफलता के लिए अनुकूल माहौल बनाने में मदद करते हैं।
एक नेता से क्या उम्मीद की जाती है :
अंत में, असाधारण नेता ईमानदारी, लचीलेपन और उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने के लिए ऊपर और परे जाने की इच्छा का प्रदर्शन करते हुए उदाहरण पेश करते हैं। इन गुणों को अपनाकर और अपनी टीमों को प्रेरित करके, नेता लगातार उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं और संगठनात्मक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
एक नेता की तीन सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाएं क्या हैं :
एक नेता की तीन सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाएँ प्रेरक, संचारक और एकजुट करने वाले हैं। नेता अपनी टीम के सदस्यों को महान कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं, स्पष्ट रूप से और लगातार उन्हें अपेक्षाओं और संगठन के सांस्कृतिक मानदंडों के बारे में बताते हैं, और उन्हें लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उद्देश्य की साझा भावना के साथ एकजुट करते हैं।
पहले कोई भी चुनाव के दौरान किसानों के चंदे से जलता था पार्टी कार्यालय का चूल्हा, मामूली खर्चे में हो जाता था चुनावी प्रचार
अभी लोक सभा इलेक्शन में आज के समय में चुनाव बेहद खर्चीले हो गए हैं जहां प्रचार अभियान में लाखों-करोड़ो रूपए खर्च हो जाते हैं। आज कोई आम आदमी चुनाव लड़ने से पहले 100 बार सोचेगा। लेकिन पहले ऐसा नहीं था।
चुनाव में अब राजनीतिक दलों की निर्भरता भले ही कारपोरेट सेक्टर पर टिक गई हो, लेकिन एक दौर था जब किसान के चंदे से पार्टी कार्यालयों का चूल्हा जलता था।
फिजूल खर्ची और तामझाम नहीं था
समर्पण और त्याग नेता और कार्यकर्ता की पूंजी होती थी। गाड़ी व प्रचार तंत्र का तामझाम भी ज्यादा नहीं था। इस कारण फिजूल खर्च की गुंजाइश कहां थी। गांव के शहरो के एक-एक घर से कार्यकर्ताओं का लगाव होता था। फंड कम होने पर सभी के सामने इसे रखा जाता था, लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि भी देते थे।
आज की राजनीति क्या हैं :
अभी सत्ताधारी पार्टी चुनाव के वक्त बड़ी बड़ी कंपनीओ के चंदो से बेहद करोड़ो का खर्चा करके मतदान खरीदने में लगी रहती हैं लोगो को शराब पिलाकर उन्हें खर्चे के लिए कुछ पैसे भी बाटते हैं और उन्हें कुछ उपहार भी देते हैं जिससे उनके ऊपर बहुत सारा प्यार उमड़ जाये और उन्ही को उनके मतदान मिल जाये और वह अच्छे मतों से चुनकर आ जाये यह हैं आज की राजनीती
नेता हर बार कोई न कोई रोड़ा अड़ाकर कोई भी प्रोजेक्ट के काम को रोक दिया जाता हैं । नेता सिर्फ आश्वासन दे देते रहते हैं। नेता जब आते हैं तो उनके स्वागत की तैयारियों पर ही जनता का लाखों-करोड़ों खर्च कर दिया जाता है, फिर जनहित की योजना में क्यों रोड़े अटकाए जा रहे हैं
करोड़ों के प्रोजेक्ट में जिम्मेदार लोगों को अपने कमीशन से मतलब है, जनता की किसी को चिंता नहीं। यहां हर चीजों पर टैक्स की बढ़ती हुयी महंगाई की खरीदने में जनता की जेब खाली हो रही हैं , लेकिन नेताओं को इसकी कोई चिंता नही।
नेताओं की क्या कमजोरी होती हैं :
किसी प्रोजेक्ट में यदि 6 साल लग रहे हैं तो उसमें कहीं न कहीं राजनेताओं की कमजोरी है। दोनों ही प्रमुख दल एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। मेरा मानना है कि कोई भी प्रोजेक्ट तभी शुरू करना चाहिए, जब उसकी सभी परमीशन हो जाएं।
नेताओं में काम करने की कोई भी इच्छाशक्ति का अभाव होना चाहिए इच्छाशक्ति व्यक्ति की अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तत्काल संतुष्टि में देरी करने की क्षमता है।
पार्टी कोई भी हो, हर दल का नेता अपने क्षेत्र में बड़ी समस्या जान बूझकर बनाए रखता है। क्योंकि यदि समस्या दूर हो गई तो फिर जनता उन्हें क्यों पूछेगी।
सबने माना राजनीतिज्ञों में इच्छा शक्ति की कमी, सिर्फ कर रहे श्रेय लेने के लिये राजनीति
नेता किसी समस्या का समाधान कैसे करता है :
समस्या के कारण की पहचान करना और संसाधनों का उचित उपयोग करना सफल समस्या-समाधान की कुंजी है। नेताओं को कार्यभार संभालने और किसी को दोष देने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय आगे बढ़ने के बारे में सक्रिय रूप से सोचने की जरूरत है।
प्रदेश में आचार संहिता प्रभावी है यानी मंत्री या वीवीआइपी का रुतबा, बत्ती वाली गाड़ियां आदि प्रभावहीन हैं। ये कुछ हफ्ते मतदाता को शांत-संयत होकर विचार करने के लिए दिए जाते हैं ताकि वे सही जनप्रतिनिधि चुन सकें। सरकार के वीवीआइपी का आना-जाना अकसर जनता के लिए परेशानी बनता है। लोगों को वीवीआइपी के आगमन-प्रस्थान के समय चौराहों पर रुकना पड़ता है। अकसर दूसरे रास्तों से जाना पड़ता है। जाम से जूझना पड़ता है। हमारे यहां जनता को समय से सूचनाएं देने का कोई प्रभावी सिस्टम नहीं है इसलिए रुट डायवर्जन और रास्ता बंद होने की जानकारी एकदम से ही सामने आती है। चुनाव के मौसम में भी प्रचार के लिए शहर में ऐसे वीवीआइपी का आना-जाना हो रहा है। रैलियों की वजह से जाम लगता है। सरकार रहे या चुनाव हों, परेशान तो जनता ही होती है।
कोई भी चुनाव हो तो केवल गरीबों के मुद्दों पर ही होना चाहिए देश के विकास के बारे में ही होना चाहिए फालतू के बातो पर चुनाव के मुद्दे नहीं होना चाहिए इसका कोई मतलब नहीं होता हैं चुनाव के दौरान
अपने आसपास के जीवन और परिस्थितियों को गौर से सुनना सीखें। जब आप अपने आसपास की हर चीज को गौर से सुनते हैं, तो आपको यह बात समझ आती है कि अभी क्या हो रहा है और इससे आगे अगला कदम क्या होगा।
क्योंकि दुनिया में ऐसे कई प्रतिभावान व्यक्ति हुए हैं, जिन्होंने उस समय की दुनिया के अनुसार महामूर्खतापूर्ण बातें कीं। कई पीढिय़ां बीत जाने के बाद लोगों को इस बात का अहसास हुआ कि उन लोगों ने जो बातें कहीं, वे बुद्धिमानी से भरी थीं। तो अगर आप नेता हैं तो यह जरूरी नहीं है कि आपको दुनिया के बारे में सब कुछ पता ही हो। बस इतना है कि आप सुनने के इच्छुक हैं, भले ही कोई भी बोल रहा हो। चाहे कोई बच्चा कुछ कह रहा हो, चाहे कोई महान आदमी, चाहे कोई मजदूर कुछ कह रहा हो,
चाहे कोई मैनेजर, आपको हरेक की बात को सुनना सीखना होगा। यह बहुत महत्वपूर्ण है। सुनने का मतलब आपके कानों की क्षमता से नहीं है। अपने आसपास के जीवन और परिस्थितियों को गौर से सुनना सीखें। जब आप अपने आसपास की हर चीज को गौर से सुनते हैं, तो आपको यह बात समझ आती है कि अभी क्या हो रहा है और इससे आगे अगला कदम क्या होगा। अभी क्या हो रहा है, अगर आपको इसकी कोई समझ नहीं है, अगर आप कोई ऐसा कदम उठाते हैं जो वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब के अनुकूल नहीं है तो आप कितना भी महान कदम उठा लें, वह बेकार ही जाएगा।
कार्यालय का पता 👇
नेहा अपार्टमेंट फ्लैट नंबर २०२, दूसरा मजला, उमरेड रोड, रामकृष्ण नगर, नागपुर-४४००३४.
कोसारे महाराज 👉 संस्थापक ( राष्ट्रीय अध्य्क्ष )
मानव हित कल्याण सेवा संस्था नागपुर ( महाराष्ट्र प्रदेश )
भारतीय जनविकास आघाडी ( राजकीय तिसरी आघाडी मुख्य संयोजक )
अधिक जानकारी के लिए फोन संपर्क 📲 ९४२१७७८५८८ / ९४२२१२७२२१
ईमेल 👉 kosaremaharaj@gmail.com
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Kosare Maharaj
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