किसी का नामांकन पत्र निरस्त करना लोकतांत्रिक अपराध है
// कोसारे महाराज
भारतीय जन सम्राट पार्टी के प्रत्याशी दिलीप श्रीराम कोसारे इनका नामांकन रद्द होने पर कार्यकर्ताओं में आक्रोश पैदा हुआ प्रत्याशी दिलीप श्रीराम कोसारे ( कोसारे महाराज ) का नामांकन निरस्त करना सरेआम लोकतंत्र की हत्या है। कहा जा रहा है कि हस्ताक्षर नहीं थे तो फिर देखनेवाले अधिकारी ने फार्म लिया ही क्यों। शपथ विधि लेकर उनसे रुपये 25000. 00 लिया ही क्यों
नामांकन रद्द होने की वजह :
दिलीप कोसारे महाराज का तजुर्बा :
10 नागपुर लोकसभा चुनाव निर्वाचन क्षेत्र से नागपुर महाराष्ट्र के लोकप्रिय नेता दिलीप श्रीराम कोसारे मेरा उपनाम कोसारे महाराज है मेरी शिक्षण पात्रता बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए) हैं मेरी उम्र 60 वर्ष मेरा तजुर्बा 25 वर्ष की सरकारी नौकरी, सामाजिक, आद्यात्मिक एवम राजनितिक 40 वर्षो का इतना बड़ा तजुर्बा होने के बाउजूद भी मेरे आँखो में किसी ने धूल झोके समान होने लगा इन दिनों यह 10 नागपुर लोकसभा चुनाव की काफी चर्चा में है, की कोसारे महाराज का स्क्रूटनी के दिन दिनांक 28.03.024 को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र दिनांक 27.03.2024 को दुपहर 3 : 00 बजे दाखल किया गया हुआ था उसमे कुछ भी गलती न होते हुये भी सिर्फ तीन जगह स्वाक्षरी न होने कारण की वजह से रद्द करने में आया हैं जब लोगोने और कार्यकर्ताओं ने इसका पता लगाया की नामांकन पत्र रद्द कैसे हुआ ऑनलाइन वोटर हेल्पलाइन ऐप से पता लगाया की कुछ प्रत्याशी का उसमे काफी लोकसभा के प्रत्याशी का नामांकन पत्र भरा हुआ ठीक ढंग से भरा हुआ भी नहीं था उसमे कही प्रत्याशियों के पुरे नामांकन पत्र में पुरे फॉर्म में कही पर पुरे फॉर्म में हस्ताक्षर न होने के बावजूद भी उनका लोकसभा उमेदवार के नामांकन पत्र स्वीकार कैसे हो गये है यह बहुत बड़ी चिंताजनक वाली बात हैं यही बात बार बार दिमाग में खटक रही हैं की इतना पेपर वर्क का काम करने वालो का लोकसभा उमेदवार के नामांकन पत्र को निरस्त कर दिया जाता हैं तो आम आदमी का क्या हैं और आगे क्या हो सकता हैं पुरे सविंधान के नियम का उलंघन करने के समान हो गया हैं.
नामांकनपत्र निरस्त होने के कारण :
लोकसभा नामांकन प्रपत्र मूल 10 नागपुर लोकसभा चुनाव निर्वाचन का नामांकनपत्र दो भाषा में था एक इंग्लिश व दूसरा मराठी भाषा में था हमने मराठी भाषा को चुनकर नामांकनपत्र को पेन से मूल तरीके से भरा हुआ था जो हमने मराठी भाषा को हमने चुन कर मराठी भाषा में नामांकनपत्र को मूल रूप से भरा था उसमे हमारी पूरी हस्ताक्षरित हैं जो इंग्लिश का फॉर्म हमने भरा ही नहीं था इसलिए हमने उसपर अपनी हस्ताक्षरित करना उचित नहीं समझा था हमारी यही एक छोटीसी गलती हुई थी बाकि ऐसा उस नामांकनपत्र में कुछ भी गलतिया तो कही पर हमें दिखयी नहीं दे रही थी इतनी सी बात को लेकर 10 नागपुर लोकसभा चुनाव के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने दिनांक 28.03.2024 को दिलीप श्रीराम कोसारे इनका नामांकन फॉर्म को निरस्त कर दिया हैं
हम आपको 10 नागपुर लोकसभा चुनाव निर्वाचन क्षेत्र से नागपुर से कुछ जुड़ी हुयी तमाम जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से दे रही कि बहुत सारे लोग हमारे साथ लाखो लोग हमसे जुड़े हुये और कार्यकर्ताओ को इस पुरे घटना क्रम के बारे में इसकी पूरी जानकारी नहीं हैं इसलिए हम इस घटना क्रम के बारे में खुलकर बता रहे हैं, उन्हें सिर्फ आधी अधूरी बातें ही पता है, तो आज के इस आर्टिकल में मैं आपको खुलकर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष के रूप में मैं आपको बतानी की पूरी कोशिश कर रहा हूँ मुझे काफी लोगो के फ़ोन आ रहे हैं की आपका10 नागपुर लोकसभा चुनाव निर्वाचन क्षेत्र से नामांकनपत्र में कुछ भी गलतिया तो कही पर हमें दिखयी नहीं दे रही तो भी आपका नामांकनपत्र निरस्त कैसे हुआँ यहीं हम लोगो को बता बता कर पुरे तरीके से थक गए इसलिए मैं इस आर्टिकल के माध्यम से आपको पुरे घटना क्रम को बता रहा हूँ
निर्वाचनों में खड़ा होने के क्या प्रावधान हैं :
प्रश्न 1. क्या एक गैर नागरिक, अभ्यर्थी हो सकता है?
उत्तर-नहीं।
एक गैर नागरिक, निर्वाचनों में निर्वाचन लड़ने वाला अभ्यर्थी नहीं हो सकता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84(क) में यह परिकल्पित है कि कोई व्यक्ति संसद में सीट को भरने के लिए चुने जाने हेतु तब तक पात्र नहीं होगा जब तक कि वह भारत का नागरिक न हो। संविधान के अनुच्छेद 173(क) में राज्य विधान सभाओं के लिए इसी प्रकार का प्रावधान है।
प्रश्न 2. लोक सभा या विधान सभा का अभ्यर्थी होने के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
उत्तर-पच्चीस वर्ष।
भारतीय संविधान के अनुच्छे।द 84(ख) में यह प्रावधान है कि लोक सभा निर्वाचन हेतु अभ्यर्थी होने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होगी। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 36(2) के साथ पठित संविधान के अनुच्छेद 173(ख) के द्वारा विधान सभाओं के अभ्यर्थी होने के लिए यही प्रावधान है।
प्रश्न 3. यदि मैं किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हूं, तो क्या मैं निर्वाचन लड़ सकता हूं?
उत्तर- नहीं।
अभ्यर्थी के रूप में निर्वाचन लड़ने के लिए व्यक्ति को मतदाता के रूप में अवश्य पंजीकृत होना चाहिए। लोक प्रतिनिधित्वय अधिनियम, 1951 की धारा 4(घ) व्यक्ति को निर्वाचन लड़ने से प्रतिबाधित करता है जब तक वह किसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में एक निर्वाचक न हो। लोक प्रतिनिधित्वत अधिनियम, 1951 की धारा 5(ग) में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए यही प्रावधान है।
प्रश्न 4. मैं दिल्ली में एक मतदाता के रूप में पंजीकृत हूं। क्या मैं हरियाणा या महाराष्ट्र्, या उड़ीसा से लोक सभा का निर्वाचन लड़ सकता हूं?
उत्तर- हां।
यदि आप दिल्ली में एक पंजीकृत मतदाता हैं, तो आप लोक प्रतिनिधित्वत अधिनियम, 1951 की धारा 4(सी), 4(सी सी) तथा 4(सी सी सी) के अनुसार असम, लक्षद्वीप तथा सिक्किम को छोड़कर देश में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा का निर्वाचन लड़ सकते हैं।
प्रश्न 5. यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध का दोषी है और उसे 3 वर्ष की सजा दी जाती है, तो क्या वह निर्वाचन लड़ सकता है?
उत्तर-नहीं
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध का दोषी है तथा 2 वर्ष या इससे अधिक की सजा दी गई है, तो वह निर्वाचनों को लड़ने के लिए अपात्र होगा।
प्रश्न 6. यदि वह जमानत पर है, उसके अपील का निपटान लंबित है, तो क्या वह निर्वाचन लड़ सकता है?
उत्तर- नहीं
यद्यपि कोई व्यक्ति दोष सिद्ध होने के पश्चात जमानत पर है, तथा उसकी अपील निपटान के लिए लंबित है, तो वह भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्वाचन लड़ने से निरर्हित किया जाता है।
प्रश्न 7. क्या कोई व्यक्ति जेल में बंद रहकर निर्वाचन में मत डाल सकता हैै?
उत्तर-नहीं
लोक प्रतिनिधित्व, अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के अनुसार, जेल में बंद कोई भी व्यक्ति निर्वाचन में मत नहीं डालेगा, चाहे वह कारावास की सजा के अधीन हो या देश निकाला हो या अन्थानुस, या पुलिस की कानूनी हिरासत में हो।
प्रश्न 8. प्रत्येक अभ्यर्थी को प्रतिभूति राशि जमा कराना अपेक्षित है। लोक सभा निर्वाचन के लिए प्रतिभूति जमा राशि कितनी है?
उत्तर-पच्ची्स हजार रुपए।
लोक प्रतिनिधित्वह अधिनियम, 1951 की धारा 341(क) के अनुसार, प्रत्येतक व्यक्ति को लोक सभा निर्वाचनों के लिए 25000/- रु. (मात्र पच्ची्स हजार रुपए) की प्रतिभूति राशि जमा कराना अपेक्षित है।
प्रश्न 9. क्या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी के लिए कोई छूट है?
उत्तर- हां
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की उसी धारा 34 में यह प्रावधान है कि अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के अभ्य्र्थी के लिए 12,500 रु. (मात्र बारह हजार पांच सौ रुपए) की प्रतिभूति राशि जमा कराना अपेक्षित है।
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहाँ की संघीय सरकार प्रत्येक पाँच वर्ष के अंतराल पर चुनाव के माध्यम से चुनी जाती है। देश के नागरिक इस चुनावी प्रक्रिया में सीधे तौर पर भाग ले सकते हैं।
भारतीय संविधान के अनुसार देश में नियमित, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव आयोजित करने का अधिकार निर्वाचन आयोग को प्राप्त है। चुनाव आयोजित करने एवं चुनाव के बाद के विवादों से संबंधित सभी विषयों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 एवं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है।
नामांकन पत्र भरते वक्त दिलीप कोसारे महाराज को क्या प्रक्रिया को देखना था :
मेरी काफी वर्षो से मंशा थी कि एक दिन मैं जरूर 10 नागपुर लोकसभा चुनाव निर्वाचन क्षेत्र से नागपुर महाराष्ट्र से नामांकन पत्र दाखल करूँगा यह मेरी काफी वर्षो से मंशा थी कि एक दिन मैं जरूर नामांकन पत्र दाखल करूँगा वह मैं अपना 10 नागपुर लोकसभा चुनाव निर्वाचन क्षेत्र से नागपुर महाराष्ट्र से हमारी तरफ से भूतपूर्व लोकसभा चुनाव कि तैयारियां शुरू ही थी मुझे यह देखना था की नेताओ को जनता से कीमती मतदान पैसो से खरीदने के बाद में सत्ता पर बैठालती हैं क्या की बिना पैसो से जनता अपना कीमती अमूल्यवान मतदान देकर अपना पसंदीत या लोकप्रिय नेता को सत्ता पर बिठाती हैं क्या
चुनाव आयोग के मुताबिक भारत की 18वीं लोकसभा के लिए देश में 7 चरणों में चुनाव होंगे. जिसमें पहला चरण 19 अप्रैल को शुरू होगा तो अंतिम चरण की वोटिंग 1 जून को कराई जाएगी और 4 जून को चुनाव परिणाम आएंगे. लोकसभा चुनाव 2024 का शुभारंभ हो चुका था. मंच भी सज चुका है और देशभर में पहले चरण के चुनाव के लिए (20 मार्च 2024) से नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी थी.
हमने (20 मार्च 2024) को ही एक नामांकनपत्र खाली वाला लेकर आये हुये थे
19 अप्रैल 2024 को पहले चरण में देश की 102 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी. इससे पहले आपके लिए ये जानना बहुत ही जरुरी है कि आखिर लोकसभा चुनाव में उतरने वाले प्रत्याशी कैसे अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित करने के लिए नामांकन दाखिल करते हैं और आखिर चुनाव आयोग को इन्हें कौन-कौन सी जानकारी देनी होती है? तो आइये जानते हैं
जिले के डीएम होते है मुख्य निर्वाचन अधिकारी :
लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद हर जिले में चुनाव की घोषणा होती है. नामांकन प्रक्रिया के दौरान कलेक्टर प्रेस नोट जारी करके सभी को सूचित करते है. जिसके बाद योग्य उम्मीदवार डीएम ऑफिस में डीएम के समक्ष अपना नामांकन दाखिल कर सकते है. चुनाव के दौरान जिले के कलेक्टर को ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी माना जाता है.
इन्हीं की देखरेख में प्रत्याशी अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हैं. किसी भी चुनाव के दौरान जिलेवार स्तर पर जिले का कलेक्टर ही चुनाव की कमान संभालता है. नामांकन दाखिल करना किसी भी चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण कार्य में से एक होता है. नामांकन दाखिल करके ही उम्मीदवार चुनाव आयोग के समक्ष अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित करते हैं. उसी प्रकार उमेदवार की कुछ त्रुटि होती हैं तो साथ में 100.00 रुपया का स्टाम्प पेपर भी उनके कार्यालय से उमेदवार को देना चाहिये की नहीं उसकी उन्ही के कार्यालय के अगल बगल में 100.00 रुपया का स्टाम्प पेपर जोरो से कालाबाजारी चल रही थी इसकी क्या वजह हो सकती हैं जब लोकसभा का चुनव ही करना हैं तो 100.00 रुपया का स्टाम्प पेपर कालाबाजारी करने की क्या आवश्यकता पड़ी थी
पत्र की जांच के बाद ही तय होती है उम्मीदवारी :
लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन पत्र दाखिल होने के बाद चुनाव आयोग उम्मीदवार के सारे कागजों की जांच करता है. अगर आयोग को किसी डॉक्यूमेंट में कुछ भी संदिग्ध लगता है तो चुनाव आयोग उस प्रत्याशी की उम्मीदवारी भी निरस्त कर सकता है. लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन पत्र दाखिल होने के बाद चुनाव आयोग उम्मीदवार के सारे कागजों की जांच करता है. अगर आयोग को किसी डॉक्यूमेंट में कुछ भी संदिग्ध लगता है तो चुनाव आयोग उस प्रत्याशी की उम्मीदवारी भी निरस्त कर सकता है. उस उम्मीदवार के तरफ से शपथ लेने की क्या आवश्यकता है उस उमेदवार से पैसे किसलिए लेना चाहिए उसी वक्त उसकी उमेदवारी निरस्त कर सकते है की नहीं वह सब मेरे साथ हुआ हैं प्रत्याशी चुनाव मैदान में तभी वोट मांगने के लिए प्रचार-प्रसार कर सकते है. जब उनकी उम्मीदवारी चुनाव आयोग रजिस्टर्ड घोषित कर दे. अंत में फिर जनता ही सभी के भाग्य का फैसला अपने 'मत' रुपी 'दान' से करती है.
वोटर लिस्ट में नाम तो भर सकते हैं नामांकन :
लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही नॉमिनेशन पेपर्स भरने के प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है. इसके तहत कोई भी भारतीय नागरिक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरकर चुनाव लड़ने और सांसद बनने के लिए दावेदारी कर सकता है. इसके लिए बस शर्त एक ही है कि उस व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में अनिवार्य रूप से मौजूद होना चाहिए. यही तो प्रथम कलेक्टर सहाब को देखना हैं बाकि के कागजात की प्रक्रिया में कोई गलतिया निकलती हैं तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देना चाहिए
देश की राजनैतिक पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित करती है और अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारती है, इसे ही पार्टी का टिकट मिलना भी कहते है. नामांकन के दौरान प्रत्याशी पार्टी (दल) के सिंबल के साथ नामांकन पत्र जमा करते हैं, जिसके बाद चुनाव आयोग उनको उसी सम्बंधित पार्टी का सिंबल देता है.
प्रत्याशी ऐसे जमा कर सकते है नामांकन पत्र :
लोकसभा चुनाव 2024 के एलान के बाद चुनाव आयोग ने देश के हर हिस्से में अलग-अलग लोकसभा सीटों के लिए निर्वाचन पदाधिकारी और ऑर्ब्जवर्स नियुक्त किए है. कोई भी प्रत्याशी जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंच कर अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं. नामांकन के साथ ही उम्मीदवारों को एक निर्धारित जमानत राशि भी चुनाव आयोग के समक्ष जमा करनी होती है.
चुनाव अधिकारी के अनुसार कोई भी प्रत्याशी नामांकन पत्र जमा करने की प्रक्रिया के दौरान सीमित गाड़ियों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके साथ ही साथ इन गाड़ियों को निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से 100 मीटर पहले ही खड़ा करने का आदेश रहता है. इस दौरान निर्वाचन अधिकारी से बिना इजाजत कोई भी प्रत्याशी ढोल-नगाड़े का भी उपयोग नहीं कर सकता है.
शपथ पत्र में देनी होती है हर एक जानकारी :
लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी को नामांकन पत्र जमा करते समय एक नोटरी स्तर पर बना शपथ पत्र भी जमा करना होता है. उम्मीदवार को इस शपथ पत्र में अपने आय-व्यय के ब्यौरा से लेकर हर एक जानकारी भारत निर्वाचन आयोग को देनी होती है और सुनिश्चित करना होता है कि उसकी दी हुई हर एक जानकारी सही व सटीक हो. इस दौरान प्रत्याशी को पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड, मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी जैसे कागज चुनाव आयोग को सौंपने होते हैं. सांसद बनने से पहले प्रत्याशी को नामांकन पत्र में अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा, पत्नी और और अगर आश्रित बच्चें है तो उनकी भी आय- व्यय एवं लोन की सारी जानकारी देनी पड़ती है. वह सब कुछ देने के बावजूद सभी प्रक्रिया होने बावजूद मेरा 10 नागपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र रद्द कैसे हुआ उन्होंने मुझे शाम को 5:00 बजे रुपये 25000.00 भरने के बाद एक नोटिस दिया जाता हैं की आप दिनांक 28.03.2024 सुबह 11 :00 बजे फिर से नोटरी करके लाओ ऐसा मुझे बताया गया था इसकी क्या जरुरत थी कोई भी वज़ह नहीं थी हमारे समय के बर्बादी हुई और पैसो की बर्बादी करना था और समाज में नाम ख़राब करना था की इनको लोकसभा चुनाव का नामांकन पत्र भरना नहीं आता करके साबित करना था इतने वर्षो से हमने समाज की सेवा की यह सब फालतू हैं ताकि लोग हमारी हंसी उड़ाने के लिए छोड़ दिए समान हो गया की यह उमेदवार राजनीति में ताकि नहीं आये लेकिन वैसा नहीं हैं बल्कि हमारी राजनीति और मजबूत होंगी यह साफ जाहिर सी बात हैं
इसके साथ ही साथ उम्मीदवारों के पास कितने हथियार हैं, कितना जेवर हैं और शैक्षणिक योग्यता जैसी जानकारी भी प्रस्तुत करनी होती है. कमाई के साधनो को भी नामांकन पत्र में बताना होता है. इसके अलावा उम्मीदवार पर कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं? कितने मामले में कोर्ट केस चल रहा है? और कितने केसेस में सजा हुई है, ऐसी जानकारी भी बतानी होती है. इन सभी मामलों की जानकारी एफिडेविट के माध्यम से सही-सही देनी होती है. यह हमने सब कुछ दे दिया था तो भी हमारा नामांकन पत्र रद्द कैसे हुआ यह हमारी समझ के बाहर जा रहा है
स्क्रूटनी और नामांकन पत्र वापस लेने की प्रोसेस काफी अहम हैं :
एक बार नामांकन पत्र दाखिल कर देने के बाद चुनाव आयोग प्रत्याशियों की हर एक जानकारी को बारीकी से जांचता है, इसी प्रक्रिया को स्क्रूटनी कहा जाता है. नामांकन के बाद नाम वापसी के लिए भी आयोग कुछ दिन निर्धारित करता है. इस समय तक उम्मीदवार अगर चाहे तो चुनाव से अपना नाम वापस ले सकता है. चुनाव आयोग के मुताबिक नामांकन पत्र को सही-सही भरा जाना चाहिए, अगर नॉमिनेशन पेपर्स में कुछ भी गलती निकलती
इसके बाद नामांकन और स्क्रूटनी में सब सही पाए जाने पर प्रत्याशी को अपनी मर्जी से नाम वापस लेने का भी समय मिलता है. इसके लिए प्रत्याशी को एक एफिडेविट में घोषणा पत्र देना होता है. इसमें नाम वापसी की जानकारी देनी होती है, फिर वेरिफिकेशन के बाद चुनाव आयोग प्रत्याशी का नाम वापस कर देता है. इन सभी प्रक्रियाओं के बाद उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा सकता है.
कार्यालय का पता 👇
नेहा अपार्टमेंट फ्लैट नंबर २०२, दूसरा मजला, उमरेड रोड, रामकृष्ण नगर, नागपुर-४४००३४.
कोसारे महाराज 👉 संस्थापक ( राष्ट्रीय अध्य्क्ष )
मानव हित कल्याण सेवा संस्था नागपुर ( महाराष्ट्र प्रदेश )
भारतीय जनविकास आघाडी ( राजकीय तिसरी आघाडी मुख्य संयोजक )
अधिक जानकारी के लिए फोन संपर्क 📲 ९४२१७७८५८८ / ९४२२१२७२२१
ईमेल 👉 kosaremaharaj@gmail.com
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Kosare Maharaj
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