संयोजक की भूमिका एवं गतिविधि // कोसारे महाराज
संयोजक शाखा या प्रान्त या राष्ट्र कोई भी स्तर के हो संस्था में एक महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वाहन करतें है. वो नेतृत्वकर्ताओं द्वारा तय किये हुए वार्षिक या कार्यकाल के लक्ष्यों को जमीन पर उतारने के महत्वपूर्ण कारक होतें है. नेतृत्वकर्ता और संयोजक व् संस्था के लक्ष्यों में समन्वय हो तो कोई भी प्रकार के सामजिक लक्ष्यों की प्राप्ति सम्भव है.
विभाग संयोजक के दायित्व के विभिन्न पहलुओ पर संदेश :
एक संयोजक अपनी कार्यशैली में श्रेष्ठ होता है :
सर्वप्रथम यह तय है कि किसी भी स्तर के नेतृवकरता द्वारा संयोजक की नियुक्ति सभी प्रकार के उपलब्ध मापदंडो को देखते हुए उनकी सक्षमता के अनुरूप होती है. नेत्रित्वकर्ता की पैनी नजर से संयोजक का चयन होता है, वो उसकी पूर्व की कार्यशैली से प्रभावित हो उसे वह महत्वपूर्ण पद का दायित्व सौपता है. ऐसा मान सकतें हैं कि एक संयोजक अपनी कार्यशैली में श्रेष्ठ होता है. लेकिन ज्यादातर मामलों में देखा जाता है संयोजक स्वयं मंथन करते हुए अपने से यह पूछता है कि उसे अपने विभाग में और क्या करना है. चूँकि वो श्रेष्ठ होता है वो पूर्व में अपनी क्षमताओं का लोहा मनवा चूका होता है, अपने आप को साबित कर चूका होता है, वो दुसरो से भी समझने का प्रयास करता है कि उसे संयोजक स्वरुप करना क्या है. चूँकि कोई भी कार्यक्रम मिलने पर वो उसे श्रेष्ठतम तरीके से क्रियान्वन कर के दिखाता है, उसे इस बात की कचोट रहती है कि पूर्व में उसके दायित्वों के अनुरूप किये हुए कार्य के अनुरूप उसे वर्तमान का कार्य नहीं मिला है, और वह असंतुष्ट रहने लग जाता है. लेकिन उसे इस बात का संज्ञान रखने में समय लग जाता है या फिर उसे मार्गदर्शन नहीं मिल पाता कि कितने महत्वपूर्ण भूमिका उसे मिली है और उसके विभाग में ही अनन्तर कार्य करने की सम्भावनाएं है अगर वो इस पर ध्यान केन्द्रित करें व् मंथन करें.
उपसमिति के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम सुनिश्चित करने की विधियाँ व् पहलुएँ :-
समस्याएं:
सर्वप्रथम संयोजक को यह तय करना चाहिए कि उस विशेष उपसमिति का गठन क्यूँ हुआ, क्या समस्याएं उस समय वैश्विक व् देश शहर समाज को सामना कर रहा है. क्या वह समस्या क्षणिक है या साल के कुछ समय के लिए वह समस्या उत्पन्न होती है या वह एक जटिल लम्बे समय वाली समस्या है.
कई बार समस्या इतनी पुरानी प्रतीत होती है कि उस पर कोई ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता परन्तु बस एक छोटे से कदम की जरूरत होती है. संयोजक उपसमिति में नया पदोंन्नित हुआ हो तो उसे समिति के पूर्व पदाधिकारियों से संपर्क कर पूर्व की योजनाओं व् पूर्व में आई समस्याओं के बारें में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए.
सम्भावित निदान :
समस्याओं को चिह्नित करने के पश्चात उसके संभावित निदान की और जाएँ. कई बार होता है समस्यायें जटिल होती है परन्तु उसका हल छोटे छोटे कदम लेने पर पहुंच जा सकता है. पर संयोजक को निश्चित करना चाहिए कि विभिन्न समस्याओं का निदान कैसे करना है, पुरे वर्ष में निरंतर कार्यक्रम होंगे या एक दो कार्यक्रम से ही समस्या का समाधान हो सकता है. पूर्व पदाधिकारियों या नेतृत्व कर्ताओं के पास क्या समाधान है या उन्होंने क्या सोच रखा है इस पर विचार विमर्श करके ही विभाग के अंतर्गत आगामी कार्यक्रमों की सूची तैयार करनी चाहिए.
मदद:
आज के दौर में विभिन्न समस्याओं पर विभिन्न सरकारी व् गैर सरकारी संस्थाओं के पास योजनाये होती है जो बेहतरीन क्रियान्वन के आभाव में फाइलों में ही बंद रह जाती है. संयोजक को सम्बंधित सरकारी विभाग, जिले के उपायुक्त व् अन्य अन्यान्य गैर सरकारी संस्थाओं के प्रमुखों से संवाद स्थापित कर के सम्भावित उपलब्ध मदद पर भी ध्यान देकर कार्यक्रम विवरण बनाना चाहिए. विभिन्न औधोगिक संस्थानों में CSR- समष्टिगत सामाजिक उतरदायित्व निधि को भी संस्थाओं के सामजिक कल्याण के कार्यों में लगाया जा सकता है और उसे कैसे प्राप्त कर सकतें है इस पर भी मंथन करना चाहिए.
दूरदर्शिता :
यह संयोजक के पास होने वाली सबसे महत्वपूर्ण पूंजी है. किस काल में किस समय में कार्यक्रमों का क्रियान्वन करना है, किस सामाजिक समस्या का निवारण होगा, क्या प्रभाव पड़ेगा समाज पर व् लाभान्वितों पर कितने समय तक व् प्रभाव रहेगा, शहर व् समाज की अन्य संस्थाओं से किस प्रकार से समन्वय व् गठजोड़ स्थापित हो सकती है, समाज के वरिष्ठ व् युवा सदस्यों से क्या प्रभावी सहयोग ले सकतें हैं, विभिन्न निजी/सरकारी/गैर सरकारी औधोगिक घरानाओं/कम्पनियों की CSR पहलों का कैसे उपयोग किया जा सकता है, उनको अपनी संस्था के विभिन्न क्रियाकलापों की जानकारी निरंतर समय समय पर कैसे उपलब्ध करवाए जा सकतें हैं, इन सबों पर मंथन करते हुए एक दूरदर्शिता का परिचय देना चाहिए व् उसी अनुसार विभिन्न कार्यक्रमों का सम्पादन करना चाहिए.
सम्वाद :
एक कुशल संचार व् सम्वाद व्यवस्था अपने सभी सहयोगियों व् संस्था व् समाज के लोगो के साथ अति महत्वपूर्ण है. हालांकि आज के टेक्नोलॉजी के युग में यह बहुत ही आसान हो गया है. फेसबुक, व्हाट्सअप, यू ट्यूब जैसे दूरसंचार माध्यमो से दूर बैठे ही महत्वपूर्ण संदेश अनेकानेक लोगो तक प्रभावी ढंग से पहुंचा सकतें हैं. सभी संयोजकों को इन माध्यमों की सही जानकारी होनी चाहिए जैसे अपने विभाग की हर संयोजक एक यू ट्यूब चैनल बना कर अपने सहयोगियों व् समाज के लोगो को उनकी लिंक व्हात्सप्प व् फेसबुक के जरिये भेज सकतें हैं. उनकी प्रतिक्रियाये भी इसी प्रकार ली जा सकती है. आज के आधुनिक युग में विशेष कर युवाओं से सम्पर्क व सम्वाद स्थापित करने के शशक्त माध्यमों के रूप में ये उभरें है. प्रांतीय संयोजक अपने राष्ट्रिय संयोजक से भी कार्यक्रमों की जानकारी लेता रहें व् कोई समस्या आई हो तो उसका मार्गदर्शन अपने शीर्ष के पदाधिकारियों से ले सकता है.
रिपोर्टिंग :
यह अति महत्वपूर्ण है कि प्रांतीय स्तर पर संयोजक विभिन्न शाखाओं में हुए कार्यक्रम की जानकारी पूर्व में ही रखे. चूँकि कार्यक्रम क्रियान्वन में प्रांतीय संयोजक शाखा के नेतृत्वकर्ता से ही सम्पर्क में रहता है वो सभी संचार माध्यम के कुशल उपयोग से अपनी रिपोर्ट बना कर रख सकता है जिसे वह समय आने पर प्रांतीय या राष्ट्रिय स्तर के नेतृत्व कर्ताओं को दिखा सकता है. उसे प्रांतीय या राष्ट्रीय कार्यलय से भेजी शाखाओं के रिपोर्ट का इंतज़ार नहीं करना चाहिये. जहाँ मुख्यालय मात्र ईमेल व् चिठी से भेजी रिपोर्ट्स को ही मान्यता देती है, परन्तु प्रांतीय संयोजक को सभी संचार माध्यम में उपलब्ध शाखाओं की जानकारी से वो अपनी मासिक/त्रैमासिक/वार्षिक रिपोर्ट बना सकता है.
प्रोत्साहन :
यह भी प्रांतीय संयोजक के कुशल कार्यक्रम क्रियान्वन की एक महत्वपूर्ण कुंजी है. प्रोत्साहन सिर्फ पुरष्कारों से ही नहीं अपितु शाखा नेतृत्वकर्ता की समस्या सुन कर समझ कर उनको सही मार्गदर्शन देने से भी आती है. आज के युगल पारिवारिक ढांचे में अपनी विभिन्न पारिवारिक व् व्यसायिक जिम्मेवारियों का निर्वाहन करते वो संस्था के कार्य को करतें है. साथ ही हर कार्यक्रम में कार्यक्रम क्रियान्वन में एक निश्चित राशि की उपलब्धिता करवाने की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी भी उसे निभानी होती है. कार्यक्रम संयोजक को अपने स्वयं के शाखा के दायित्वों के कुशल निर्वाहन व् अपने तजुर्बे से शाखा नेतृत्वकर्ता को कुशल मार्गदर्शन देते हुए उसको प्रोत्साहित करने का सतत प्रयास करना चाहिए.
पुरस्कार व् सम्मान :
शाखा व् शाखा नेतृत्वकर्ता व् सभी सदस्यों के लिए अपने शीर्ष पदाधिकारियों से अच्छे कार्यों से हुई पहचान अति महत्वपूर्ण होती है. यह जरूरी है कि संयोजक ना ही सिर्फ अपने क्षेत्र में हुए कार्यों की अपितू उनके अन्य कार्यों की भी खुले कंठ से प्रशंसा करे. उनके शाखा पदाधिकारियों के संग मासिक पत्राचार में यह बातें निश्चित रूप से हो. पत्राचार इसलिए भी उन पत्रों को व् उसमे लिखे अंतर्वस्तु को शाखा नेतृत्वकर्ता अपने सभाओं में मौजूद सदस्यों को दिखाता भी है अपने शाखा के सदस्यों व् पदाधिकारियों का मनोबल भी बढाता है व् आगामी कार्यों को करने से प्रेरित भी करता है. इस प्रकार यह एक शाखा व् प्रान्त के बीच एक पूली का कार्य करती है. सोशल मिडिया जैसे तेज संचार माध्यमो में जहाँ विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी जल्द दी जा सकती है इन पत्राचारों से शाखाओं की रूह को स्पर्श किया जा सकता है. प्रांतीय सभाओं में पुरस्कारों के अलावा प्रान्त की प्रशश्ति पत्र भी देने के प्रावधान किया जा सकता है.
जहाँ शीर्ष के प्रांतीय पदाधिकारी सांगठनिक कार्यों में ज्यादातर व्यस्त रहतें हैं, राष्ट्रीय व् प्रांतीय कार्यों में समन्वय का कार्य करते हैं, प्रांतीय संयोजक प्रान्त व् शाखा के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी होतें हैं व् सम्पूर्ण प्रान्त को एक सामान्य सामाजिक चाह व् लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होतें है.
हर समाज की बेरोजगारी कैसे दूर करें :
नागपुर - भारतीय जन विकास अघाड़ी के नागपुर संभाग के दिलीप कोसारे महाराज को भाऊसाहेब बावने ने एक पत्र के माध्यम से नियुक्त किया है.
भारतीय जन विकास अघाड़ी के लोकप्रिय नेता, जो भारत में सर्व समाज के लोगों के लिए प्रयासरत हैं, गरीब लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं और लोगों के साथ रहकर उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं। दिलीप कोसारे महाराज संस्थापक, राष्ट्रीय अध्यक्ष मानव हित कल्याण सेवा संस्था ने पूरे प्रदेश में बहुत काम किया है। साथ ही उनके द्वारा किए गए कार्यों को ध्यान में रखते हुए तीसरे राजनीतिक गठबंधन के रूप में जाने वाले भारतीय जन विकास अघाड़ी के नागपुर डिवीजन समन्वयक का पद मिलने पर उन्हें हर जगह बधाई दी जा रही है।
अब जब पार्टी संगठन को बंदिनी के निर्माण की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है, तो वह उस जिम्मेदारी को सफलतापूर्वक निभाएगी और उन्होंने लोगों से संपूर्ण मानव जाति के अधिकारों और गरीबों की बड़ी समस्या के लिए एक साथ आने की अपील की। हर समाज की बेरोजगारी कैसे दूर करें और उनकी समस्याओं का समाधान कैसे करें। विधर्मी विचारधारा के खिलाफ लड़ने वाले तीसरे राजनीतिक गठबंधन के रूप में भारतीय जन विकास अघाड़ी के लोकप्रिय नेता दिलीप कोसारे महाराज को चुना गया है।
यह लेख कैसा लगा अपनी राय निचे कमेंट बॉक्स में जरूर देंगे. लेखक लोकप्रिय नेता दिलीप कोसारे महाराज मानव हित कल्याण सेवा संस्था संस्थापक, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वर्ष १९९५ -२०२४ तक २९ वर्षो से कार्यकाल में लगे हुये हैं सत्संग प्रवचन, लोगों की अनेक प्रकार की समस्या, स्वस्थ्य, नेत्र दान, प्रयावरण व् कैंसर जांच के और कई अभियान के प्रांतीय संयोजक का दायित्व निर्वाह कर चुके हैं. मानव हित कल्याण सेवा संस्था के अलावा कई स्थानीय संस्थाओं में सेवाएँ देते आये हैं.
कार्यालय का पता 👇
नेहा अपार्टमेंट फ्लैट नंबर २०२, दूसरा मजला, उमरेड रोड, रामकृष्ण नगर, नागपुर-४४००३४.
कोसारे महाराज 👉 संस्थापक ( राष्ट्रीय अध्य्क्ष )
मानव हित कल्याण सेवा संस्था नागपुर ( महाराष्ट्र प्रदेश )
भारतीय जनविकास आघाडी ( राजकीय तिसरी आघाडी मुख्य संयोजक )
अधिक जानकारी के लिए फोन संपर्क 📲 ९४२१७७८५८८ / ९४२२१२७२२१
ईमेल 👉 kosaremaharaj@gmail.com
वेबसाइट 👉 https://www.kosaremaharaj.com
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