भारत में अब भी 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे .
अनाथ का क्या अर्थ क्या हैं :
अनाथ आश्रम में सिर्फ वही लोग रह सकते हैं जो अपंग असहाय होते हैं तथा वे किसी भी प्रकार से लाचार होते हैं।।या जिनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं होता या जिन्हें घर से निकाल दिया जाता है उन लोगों को अनाथ आश्रम अपना लेता है।। इसमें ज्यादातर वृद्ध बूढ़े और अपंग लोग ही रहते हैं।
यह बात सही है कि बुढापा बचपन का पुनरागमन होता है। बृद्ध किशोर बच्चों के साथ खेल कर या समय पास करके अपनी बृद्धावस्था की शारीरिक और मानसिक परेशानी भूल जाते है अतः छोटी उम्र के बच्चों के अनाथ आश्रम ओर बृद्ध आश्रम एक साथ भी हो सकते है। इससे बच्चों को अभिवावकों की कमी नही खलेगी ओर बृद्ध व्यक्ति को अपनो की याद भी कम आएगी।
लेकिन हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि आजकल बृद्ध व्यक्ति भी सम्पन्नता के कारण अपने अनुसार जिंदगी जीना चाहते है वह अपने पोते पोतियों की आया बनना या उनकी देखभाल की कोई जिम्मेदारी लेना पसंद नही करते इसलिये मुझे नही लगता कि वह आश्रम में वहूत छोटे बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी उठाना पसंद करेंगे।
बृद्ध व्यक्ति बच्चों के अनाथाश्रम में वित्तीय सहायता कर सकते है। दो तीन घंटे उनके साथ खेल सकते है लेकिन मुझे नही लगता कि वह पूरे समय उनके साथ रह पाएंगे अतः दोनों का कैंपस तो एक हो सकता है लेकिन कमरे तो अलग ही रखने पड़ेंगे।
भारत में अब भी 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे क्यों हैं :
मुकेश किनाके नागपुर इनकी गरीबी रेखा की दास्तान कहानी उन्होंने मुझे अपनी गरीबी रेखा की अपनी दास्तां सुनाई वह मैं कोसारे महाराज संपूर्ण देशवासियों को आपने भारत देश की दुख भरी दास्तान बतानी की कोशिस कर रहा हू उन्होंने मुझे बताया की दिलीप मिश्रा साहब बहुत बड़ी सुरक्षा कंपनी के सुरक्षा प्रबंधक हैं यह बहुत बड़ी सुरक्षा कंपनी हैं उस सुरक्षा कंपनी में मुकेश किनाके नागपुर से कुछ महीने पहले सुरक्षा कंपनी में काम किया हैं उनकी अचानक प्रकृति में खराबी आ गयी उसके कारण से ड्यूटी पर जा नहीं पा रहे थे उनको पैसो की बहुत जरुरत थी पैसे का काम आज के ज़माने में किसको नहीं पड़ता यह सीधी सी बात हैं वह मेरे से मिले उन्होंने अपने घर की नाजुक परिस्थिति के बारे में मुझे बताया की मुझे सरकार ने घरकुल योजना के तहत हमें एक घर बना दिया लेकिन यह छोटे से घर में हम पूरा परिवार ठीक तरह से नहीं रह पाते हमारा इतने छोटे घर में जगह नहीं हो पाती क्या करे हम गरीब आदमी हैं ।
मुकेश किनाके की माँ के पूरे शरीर में बेडसोल होने के कारण से वह एक बेटे की माँ होकर भी दुःख से करारी थी उनकी दर्द भरी पीड़ा मुझसे देखा नहीं गया मैंने उनकी वीडियो निकाली और लोगो को मैं दिखाना चाहता हूँ की हमारे भारत की यही शान हैं लोग शराब ओवरडोज़ में क्यों रहते हैं उसका कारण गरीबी की रेखा के कारण से समय पर खाना नहीं मिलना समय पर पैसो का इंतजाम नहीं होना मैं यह नहीं कहता सभी लोग भारत के दुखी हैं कुछ गलतियां उनकी भी हैं कुछ गलतिया सरकार की भी हैं.
मैं उनके घर जा कर उनके घर का जायजा लिया तब पता चला की उनको पैसे की अत्यंत जरुरत हैं इनके ₹4000 बाकी हैं करके ऐसे वह बोल रहे थे मैं उनके घर गया तो खुद देखा उनकी हकिगत देखा तो मैं भी थोडा देर के लिए आश्चर्यचकित हो गया मैंने देखा की उनकी मां की बहुत प्रकृति खराब होने के कारण से पलंग के निचे जमीन पर लेटी हुई थी और उसकी वीडियो का सबूत सभी जनता को मैं यह बताना चाहता हूँ की हमारे भारत में यह गरीबी की रेखा भुखमरी से बहार कैसे निकालेंगे उसके ऊपर ज्यादा से ज्यादा ध्यान हरेक राजनितिक नेता ने इस पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए इन ऐसे गरीबो से कोई भी राजनितिक नहीं करना चाहिए ऐसे दिलीप कोसारे महाराज का कहना हैं .
हम इतने दोने मिया बीबी पढ़े लिखे होने के बावजूद भी हमारी सरकार ने यह हाल बना दिया की ₹५००० या ₹१०००/- मासिक वेतन के प्राइवेट नौकरी में गुजारा ठीक तरह से कर नहीं पाते उनका यह कहना था की हम एक सप्ताह अगर काम पर नहीं गए तो छुट्टियां नहीं मिलती अगर एक सप्ताह अगर काम पर नहीं गए तो पगार नहीं मिलता छोटे छोटे बच्चे का पालन पोषण कौन करेंगा पड़ोसी के लोग थोड़े करने वाले हैं उसी को करना पड़ेंगा जिसके छोटे छोटे बच्चे हैं उनको तो उम्र के १८ वर्ष तक तो पालना ही पालना हैं सरकारी नियम कायदे के अनुसार काम पर नहीं भेज सकते तो भी हमारे भारत देश में काफी वर्षो से छोटे छोटे बच्चे होटलो में काम करते हुए दिखाई देते हैं उसका मुख्य कारण हमारे भारत की देश की नीतिया वैसी पहले वैसी बनाई गयी हैं कोई भी राजनितिक दल हो उन्होंने अपने भारत देश के प्रति अच्छी अपनी विचार धारा बनाकर भारत देश के लिए अच्छा समाज के लिए अच्छा काम करना होंगा और समाज में सुधारना भी अच्छी होंगी।
समाज के अंदर पढ़े लिखे रहने के बावजूद भी नौकरी के चक्कर मार रहे हैं नौकरियाँ लग नहीं रही लोग नौकरियाँ लगाने के लिए दलाली कर रहे हैं उन गरीब भोली भाली लोगो के पैसे लेकर भाग रहे हैं दलाल लोग आप देख लो ऐसी गरीबी की रेखा को लांगना पड़ता हैं यही घटना हरेक गरीब आदमी के साथ यही हर्ष आपको देखने को मिलेगा हमारे संपूर्ण भारत में यही ऐसी हालत में ही मिलेंगे इस लिए सरकारी ड्यूटी होनी चाहिए प्राइवेट ड्यूटी में हॉस्पिटल की सवलत नहीं होती ऐसी बहुत सारी चीजे हैं छुटिया की कोई भी सवलत नहीं मिलती ऐसी बहुत सारी समस्या का सामना गरीबवर्ग व्यक्ति को करना पड़ता है.
मुकेश किनाके ने कोसारे महाराज को अपनी गरबि की रेखा को बताते हैं की मैं माँ बाप एकलौता लड़का और एक बहन हैं मैं और मेरी बीबी दो बच्चे मेरे पिताजी काफी वर्ष पहले गुजर गए अभी माँ जीवित हैं मैं अपने माँ बाप का एकलौता बेटा होने के बावजूद भी मैं अपने माँ की तबियत पानी ठीक तरह से पैसे खर्चा नहीं कर सकता क्यों की एक छोटी सी वेतन के जरिये से बच्चो की पढ़ई लिखाई कर नहीं पाता आगे और उन्होंने बताया की मुकेश किनाके ने एक लाड़ली बहन की शादी करवाई थी जवाई को शराब की लत लगने से दोनों में कुछ लड़ाई झगड़े होने के कारण से बहन पागल हो गयी हैं वह भाई के घर में आकर बैठी हैं वह पागल हो जाने के कारण से वह कोई काम धंदा नहीं कर सकती उसका पालन पोषण मुकेश किनाके को ही करना पड़ता हैं उसकी दवाई के खर्चे माँ की दवाई के खर्चे उधर बीबी की डाट फटकार अलग उधर से सरकार की नीतिया ख़राब दिनों दिन महंगाई की मार सिलेंडर के इतने भाव हो गए की गरीब आदमी सिलेंडर की भाव बढ़ोतरी होने कारण से सिलेंडर भरवा नहीं सकते उसके लिए पर्याप्त पैसे नहीं चुलेपर ही खाना बनाना पड़ रहा हैं.
किराना सामान के कीमतों में रोजाना की बढ़ोतरी हो रही हैं पगार में कोई भी बढ़ोतरी नहीं हो रही हैं सरकारे किसी भी पार्टी की बने लेकिन हमारा भारत देश की भुखमरी ख़त्म हो सकती हैं केवल निति और आच्छे विचारधारा से हमारे भारत की भुखमरी ख़त्म हो सकती हैं कोसारे महाराज ने अपने विचारो को आगे बढ़ाते हुये कहाँ की मैंने भी काफी समाज की सेवा की हैं 40 वर्षो का सफर तय किया हैं भारत की जनसंख्या भारत की जनसंख्या आज 142.86 करोड़ है वर्ष 2023 के जनगण जनसंख्या के अनुसार भारत का पहला स्थान है। करके सत्ताधारी सरकार हमेशा कहती आ रही हमारे भारत की जनसंख्या इतनी हैं उतनी हैं जनसंख्या कितनी भी हो केवल हमारा कर्तव्ये हैं की गोरगरीबो ने आपको आपकी सरकार को बनाने के लिए चुनाव जिताने के लिए उन्होंने अपना कीमती वोट दिया हैं.
भारत में आज भी 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं. आजादी के समय देश की 80 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी. आज 22 फीसदी लोग गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन संख्या के तौर पर इसमें कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. गरीबी रेखा के 1997 में हुए सर्वे नुसार जिस परिवार की सालाना कमाई 15 हजार से कम है, उन्हें गरीबी रेखा के नीचे माना गया । आज भी वही नियम लागू है। यह नियम उस वक्त गरीबो पर अन्याय करनेवाला था । आज तो बहुत ज्यादा अन्याय है । यह नियम होते हुये तलाठी 30 हजार से नीचे का आय प्रमाणपत्र किसी को नही देते । तहसीलदार के अनुसार भिकारी की सालाना आय 30 हजार होती है। इसलिये आजकल सरकार किसी को गरीब नही मानती । गरीबी के नाम पर योजनाये दी जा रही है, असल मे वह गरीबो को मिलती ही नही। सब नाटक है।
गरीब व्यक्ति का विकास कैसे हो :
मेरा यह कहना हैं की देश तरक्की करना बहुत अच्छी बात हैं उसमे किसी व्यक्ति का विरोध नहीं हैं लेकिन जो व्यक्ति गरीबी से गुजरा हैं यानि उनके माता पिता अपनी गरीबी रेखा को लांग कर अपने बच्चो को पढ़ाया लिखाया उसका पालन पोषण किया अपना पेट काटकर भूखे प्यासे रहकर उनकी बेटा रहते हुए भी उनकी ठीक तरह से दवाई का इंतजाम नहीं कर पाता क्यों की उनकी तनखा थोडी सी होती हैं उसका भी एक छोटा सा परिवार होता हैं वह भी अपना परिवार ठीक तरह से पालन पोषण नहीं कर पाता इस वजह से हमारे भारत देश में भुखमरी बढ़ रही हैं जो कंपनी में काम करते हैं यह किसी ठेकेदार के पास काम करने जाते हैं वह लोग उन्हें समय पर तनखा नहीं देते उनका कोई उसमे दोष नहीं हैं सभी तरफ भ्रष्टाचार होने के कारण से उनकी तनखा रुकी हुई रहने से अपने कामगारों को समय समय पर तनखा दे नहीं पाता उस वजह से उस परिवार का एक बेटा रहते हुए अपने आप को कोसते हुए वह शराब के लत में डूब जाता हैं उसका तो जीवन बर्बाद होता ही हैं उसका परिवार भी उध्वस्त होते चला जाता हैं इसलिए सरकार में जो भी बैठे लोग होते हैं उनकी विचारधारा गरीब जनता के लिए ज्यादा से ज्यादा उनके विकास के लिए ज्यादा काम करना चाहिए इस काम के लिए ही जनता ही सरकार बनाती हैं और जनता ही सरकारे गिराती हैं।
नेता क्यों बनते हैं और पैदा नहीं होते :
नेता बनाये जाते हैं, पैदा नहीं किये जाते सिद्धांत
उदाहरण के लिए, नेतृत्व का व्यवहार सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि नेता कौशल का एक सेट विकसित कर सकते हैं और विशिष्ट व्यवहार का अभ्यास कर सकते हैं जो उन्हें उनके प्राकृतिक गुणों और प्रवृत्तियों की परवाह किए बिना भूमिका के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
एक व्यक्ति समूह का नेता कब बनता है :
गुण सिद्धान्त के अनुसार एक नेता बनने के लिए व्यक्ति में कुछ निश्चित शारीरिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक विशेषताएं होना आवश्यक है । परिस्थितिगत सिद्धान्त के अनुसार गुणों और व्यवहार को एकान्तिक न देखकर परिस्थिति के सन्दर्भ में देखना चाहिए ।
नेता क्या है और नेता क्या नहीं है :
तो, हम नेतृत्व को कैसे परिभाषित करें? नेतृत्व नियंत्रण के बारे में नहीं है, बल्कि दूसरों का मार्गदर्शन और मार्गदर्शन करने के बारे में है । नेतृत्व का मतलब बात करना नहीं, बल्कि सुनना है। नेतृत्व स्वयं कुछ करने के बारे में नहीं है, बल्कि दूसरों को जिम्मेदारी सौंपने और उनके साथ अच्छा काम करने के बारे में है।
कुछ लोग नेता क्यों नहीं होते हैं :
कुछ लोग नेतृत्व करना पसंद नहीं करते क्योंकि नेतृत्व के साथ अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ और तनाव भी आता है । आपको अपनी टीम का ध्यान रखना होगा, यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सक्रिय और उत्पादक हों और उनके प्रति जवाबदेह हों। कुछ लोग हमेशा सुर्खियों में रहना, आलोचना और जांच के प्रति संवेदनशील रहना भी नापसंद करते हैं।
नेता पैदा होते हैं और नेता बनते हैं में क्या अंतर है :
दूसरी ओर, निर्मित नेता आनुवंशिक रूप से विरासत में मिले नेतृत्व गुणों के साथ पैदा नहीं हुए होंगे, लेकिन अनुभव और निरंतर सीखने के माध्यम से अपने कौशल विकसित कर सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह पहचानना है कि दोनों प्रकार के व्यक्तियों में नेतृत्व की भूमिका में सफल होने की क्षमता होती है।
नेता पैदा होते हैं या पैदा होते हैं :
नेता बनाये जाते हैं, पैदा नहीं होते और वे कैसे विकसित होते हैं यह संगठनात्मक सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। हम सभी में नेतृत्व करने की क्षमता है, चाहे जो भी स्तर और जिम्मेदारी उचित हो। इसे पहचानना और संगठन के भीतर विभिन्न प्रकार के कौशल और विशेषताओं के साथ दूसरों को विकसित करना एक अच्छे नेता का प्रमुख गुण है।
नेता कैसा होना चाहिए :
अच्छे नेताओं में आत्म-जागरूकता होती है, वे विश्वसनीयता हासिल करते हैं, संबंध-निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हैं, कार्य के प्रति पूर्वाग्रह रखते हैं, विनम्रता प्रदर्शित करते हैं, दूसरों को सशक्त बनाते हैं, प्रामाणिक बने रहते हैं, खुद को स्थिर और सुसंगत के रूप में पेश करते हैं, रोल मॉडल बनते हैं और पूरी तरह से मौजूद होते हैं।
लोग मुझे नेता क्यों बनाते हैं :
या तो आप बहुत भोले-भाले हैं या आपमें नेतृत्व के गुण हैं जैसे: कार्य करने की इच्छा, प्रभावशाली दिखने वाला कद, नियंत्रित और संक्षिप्त भाषण और अच्छे विचार। साथ ही, हो सकता है कि आप पहले गए हों और अपेक्षित कार्य को बेहतर ढंग से पूरा किया हो।
नेता क्या कार्य करता है :
कार्यालय का पता 👇
नेहा अपार्टमेंट फ्लैट नंबर २०२, दूसरा मजला, उमरेड रोड, रामकृष्ण नगर, नागपुर-४४००३४.
कोसारे महाराज 👉 संस्थापक ( राष्ट्रीय अध्य्क्ष )
मानव हित कल्याण सेवा संस्था नागपुर ( महाराष्ट्र प्रदेश )
भारतीय जनविकास आघाडी ( राजकीय तिसरी आघाडी मुख्य संयोजक )
अधिक जानकारी के लिए फोन संपर्क 📲 ९४२१७७८५८८ / ९४२२१२७२२१
ईमेल 👉 kosaremaharaj@gmail.com
वेबसाइट 👉 https://www.kosaremaharaj.com
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Kosare Maharaj |
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