समाज में बदलाव कैसे लाएं
सबसे पहले यह समझना पड़ेगा कि आप समाज में किस तरह का बदलाव चाहते हैं। दूसरी बात, क्या समाज चाहता है कि वहां बदलाव होना चाहिए, अगर बदलाव होना चाहिए समाज मतलब क्या होता है ? समाज आप और हम से ही तो बनता है ना। हर व्यक्ति अगर खुद मे कुछ अहम और सकारात्मक बदलाव करें तो समाज मे अपने आप बदलाव आना प्रारंभ हो जाएगा । बदलाव हमारे खुद से घर से करें, समाज मे बदलाव हो जाएगा।
समाज में सकारात्मक बदलाव :
समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए संपन्न लोगों को आगे आना चाहिए एक दुसरे की हर संभव मदद करें। कोई मुसिबत हो उसका साथ दें । पर ऐसा होता नही। समाज मे गलत होता देख कर भी हम कहते है , हमे क्या करना है ? हम क्यों बीच मे पड़ें ? बच्चों के परवरीश मे अपनी संस्कृति और अच्छे संस्कार का बहुत बड़ा योगदान होता है। यह बात हमेशा ध्यान रखें, बच्चें ही हमारे समाज का भविष्य बनाते है। समाज हम किसको कहते हैं क्योंकि समाज तो हम लोगों द्वारा ही बनाया गया है जो भी नजरिया है वह भी हम लोगों का ही है हम लोगों के लिए कितने भी अच्छे बने हमें अपने हिसाब से ही देखना है लोग क्या कहेंगे अगर आप उनके हिसाब से जिंदगी जिएंगे तो कभी अपनी जिंदगी का आनंद नहीं ले पाएंगे इसलिए समाज और लोगों की परवाह करनी छोड़ दें हम कोई भी कार्य करते हैं तो अपने से बड़े या संपन्न लोगों के द्वारा किए गए काम का ही अनुशरण करते हैं। इसीलिए यह कहने में कोई अचरज नहीं है कि समाज की दशा अब संपन्न लोगों के हाथों में हैं।
सामाजिक को रीतियों कैसे बदले :
सामाजिक रीतियों को बदलने का साहस सबसे पहले धनवान व बलवान ही करते हैं। फिर उनको देखकर अन्य लोग भी वैसा करने का प्रयास करते हैं। धीरे धीरे वो फिर एक परंपरा बन जाती है ।जबकि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए संपन्न लोगों को आगे आना चाहिए। हर व्यक्ति का पहला धर्म यही है कि वह स्वच्छ समाज के निर्माण में प्रतिदिन प्रयास करे।
आर्थिक और राजनीतिक में कैसे बदलाव :
भारत में तेजी से आर्थिक और राजनीतिक बदलाव हो रहे हैं। जब आर्थिक और राजनीतिक बदलाव होते हैं तो उसका सीधा असर समाज पर पड़ता है और ऐसे में सामाजिक संरचनाएं टूटती हैं। संरचनाओं के टूटने का असर लोगों की मानसिकता पर गहरा पड़ता है। तय है इससे हर उम्र और हर तबके के लोगों पर प्रभाव पड़ता है। लेकिन क्या जो सामाजिक बदलाव हो रहा, वो सही है? जिन हालात में हम रह रहे हैं क्या उससे हम संतुष्ट हैं? क्या समाज के हर तबके तक वो सारी चीज़े पहुंच रही हैं जिसकी उन्हें उम्मीद है? इन सारे सवालों से जूझना ज़रूरी है और गंभीरता से सोचना ज़रूरी है। ये सारी चिंता है
समाज और खुद को कैसे बदले :
समाज के बदलने से पहले खुद को बदलना ज़रूरी है, दुनिया को बदलने से पहले खुद को ठीक करना ज़रूरी है। यह बिलकुल ऐसा ही है कि हमें जब ट्रैफिक पुलिस वाला पकड़ता है और चालान करने लगता है तो हम सौ रुपए देकर अपनी जान छुड़ाते हैं। ऐसे में हम क्या करते हैं? चूंकि चालान पांच सौ रुपए का होता, इसलिए हमने चार सौ रुपए बचा लिए। ज़ाहिर है हम उस ट्रैफिक वाले से चार गुणा ज्यादा बड़े चोर हैं। ऐसे में हम किस समाज के बदलाव के बात करते हैं।
सामाजिक बदलाव के लिए शुरुआत कैसे करें :
हम कितने गर्व से बताते हैं कि हमारे बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं। लेकिन कितने ऐसे देश हैं जहां प्राइवेट स्कूल और पब्लिक स्कूल हैं। ऐसे में आपने कभी सोचा है कि प्राइवेट स्कूल की ज़रूरत क्यों पड़ती है और प्राइवेट स्कूल क्या अपनी लागत से सबकुछ करता हैं? सच ऐसा नहीं है। जिन प्राइवेट अस्पतालों में हम इलाज कराते हैं उनके मालिकों को सरकार ने एक रुपए के हिसाब से ज़मीन देती है। ऐसे में नुकसान किसका हो रहा है? हमारा। हमारा ही पैसा अस्पताल बनाने में लगा है और बाद में वही अस्पताल हमसे ढेर सारे पैसे लेता है। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान किसका हुआ? ज़ाहिर है जनता का।” देश में हर क्षेत्र में लगातार काम करने की ज़रूरत है। सामाजिक बदलाव के लिए शुरूआत करनी होगी किसानों से। किसान जिनकी बदौलत हमें खाना मिलता है। अगर किसान अन्न उपजाना बंद कर दें तो हमारी हालत क्या होगी, इसका हम अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन कितने लोग उठ कर ये कहते हैं कि मैं किसानों की बेहतरी के लिए काम करना चाहता हूं। पैसे लगाना चाहता हूं। शायद बहुत कम। ऐसे में हमें सिर्फ कहने के लिए काम नहीं करना है। बदलाव के लिए काम करना है।
“समाज में जिस बदलाव की सबसे ज्यादा ज़रूरत है वो है लोगों के मन में सुरक्षा का भाव आना। जिसकी शुरुआत घर से होती है। ऐसा क्यों नहीं होता कि हम अपने घरों में अपनी छोटी बेटी को अकेले रहने देते हैं। वजह है असुरक्षा। जिस दिन हम ऐसा करने लगेंगे उस दिन समझा जाएगा कि बदलाव आ रहा है समाज में। इसलिए समाज को तभी बदला जा सकता है जब हमारी मानसिकता बदलेगी।” समाज की कामना ही हैं। जिस दिन इन सवालों से हम जूझना बंद कर देंगे उस दिन हमारा समाज वाकई बेहतर और चिंता मुक्त हो जाएगा।
समाज में किस बदलाव की ज्यादा जरूरत है :
समाज में जिस बदलाव की सबसे ज्यादा ज़रूरत है वो है लोगों के मन में सुरक्षा का भाव आना। जिसकी शुरुआत घर से होती है। ऐसा क्यों नहीं होता कि हम अपने घरों में अपनी छोटी बेटी को अकेले रहने देते हैं। वजह है असुरक्षा। जिस दिन हम ऐसा करने लगेंगे उस दिन समझा जाएगा कि बदलाव आ रहा है समाज में। इसलिए समाज को तभी बदला जा सकता है जब हमारी मानसिकता बदलेगी।”
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नेहा अपार्टमेंट फ्लैट नंबर २०२, दूसरा मजला, उमरेड रोड, रामकृष्ण नगर, नागपुर-४४००३४.
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