क्षेत्र में सफाई अभियान चलाकर दिया स्वच्छता का संदेश
नेहा अपार्टमेंट रामकृष्णा नगर ( A ) दिघोरी उमरेड रोड नागपुर ने नववर्ष २०२३ के आगमन पर सफाई अभियान चलाकर स्वच्छता का संदेश संपूर्ण भारत को दिया।
रविवार को मानव हित कल्याण सेवा संस्था के संस्थापक कोसारे महाराज के नेतृत्व में क्षेत्र के अंतर्गत नेहा अपार्टमेंट, रामकृष्णा नगर ( A ) दिघोरी उमरेड रोड नागपुर में स्वच्छता अभियान चलाने की इस पहल की लोगों ने सराहना की।
स्वच्छता अभियान में युवाओं ने अपना योगदान बखूबी दिया। अभियान के दौरान क्षेत्र में जगह-जगह फैले कूड़े के अंबार को साफ़ किया गया। इस दौरान स्वच्छता अभियान से जुड़े लोगों ने रामकृष्णा नगर क्षेत्र को स्वच्छ रखने की अपील की समाजसेवी नीलेश पाटिल, उज्वला पाटिल ने कहा की स्वच्छता केवल हमारे घर, सड़क तक ही सिमित नहीं हैं। इससे केवल हमारा आंगन ही स्वच्छ नहीं रहेगा, बल्कि पूरा देश स्वच्छ रहेगा। क्षेत्र में कूड़े कचरे से विभिन्न प्रकार की बीमारिया का खतरा बना रहता हैं।
स्वच्छता का महत्व :
हम सब जानते हैं कि हम रोज़ाना स्वास्थ्य के आने वाले जोखिम से पूरी तरह से अवगत हैं, और इसने स्वच्छता को हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है। असल में, बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू जैसे नई दुनिया के विशाल रोगों को स्वच्छता की कमी के साथ संबद्ध किया गया है। हम आज बेहतर स्वच्छता बनाए रखने की दिशा में काम करते हैं, तो इससे निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ी को मदद मिलेगी। स्वच्छता एक आदत है जिसे महत्व दिया जाना चाहिए और कम उम्र से ही बच्चों में इसकी शुरुआत की जानी चाहिए। स्वच्छता सिर्फ हमारे शरीर के बारे में नहीं होना चाहिए; इसे हमारे परिवेश को अच्छा बनाए रखने पर भी ध्यान देना चाहिए।
बिना पैसे का श्रम का दान :
श्रमदान का अर्थ है किसी कार्य को करने के लिए अपने श्रम का दान करना। अगर किसी भी ऐसे कार्य में परिश्रम करना हो, जिससे हमें कोई तात्कालिक आर्थिक लाभ प्राप्त नहीं हो, लेकिन उस कार्य को करने से कोई विशिष्ट लक्ष्य की पूर्ति होती हो तो उसे श्रमदान कहते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाना या पेड़ पौधे लगाना लोगो को साफ़ सफाई करने के लिए जागृत करना सरकार की ही सहायता करना ही हैं। इसमें सभी समाज सेवक श्रमदान ही करते हैं क्योंकि वह एक सार्वजनिक कार्य है इसके बदले में उन्हें कोई पारिश्रमिक नहीं मिलेगा। सरल शब्दों में कहें तो बिना किसी आर्थिक लाभ को ध्यान में रखकर किसी कार्य को करने में अपने श्रम को लगाना श्रमदान कहलाता है।
श्रमदान का महत्व :
श्रमदान अपने आप में एक श्रेष्ठ मार्ग है इससे हमारा मानसिक एवं शारीरिक विकास नियमित रूप से हो जाता है । श्रमदान एक तरफ विश्व-बंधुत्व की भावना को प्रज्ज्वलित करता है तो दूसरी तरफ हमारे जीवन में ज्ञान का सच्चा प्रकाश भी फैलाता है ।
मनुष्य के मन में एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति और सच्ची संवेदना होती हैं । श्रमदान का सीधा-सा अर्थ स्वार्थ-रहित होकर जनकल्याण के कार्यों में लग जाना है ।
श्रमदान में राष्ट्रहित की भावनाओं के साथ-साथ सामाजिक और विश्व-कल्याण की भावनाओं का भी समावेश होता है । यह श्रमदान ही है जो किसी भी देश की आर्थिक स्थिति को तो सुधारता है साथ में राष्ट्र को पूर्ण शक्तिशाली बनाने में भी सहयोग देता है । श्रमदान अपने-आप में एक पूरे आंदोलन का नाम ही है ।
जिसका उद्देश्य जनता में निस्वार्थ भाव से रचनात्मक कार्यों के प्रति रुचि पैदा करना है । जिससे लोगों के बीच आपसी सहयोग की भावना उपज सके । जैसे स्वच्छता वृक्षारोपण संबंधी उपाय करना आदि ।
आज की शिक्षा प्रणाली में सुधार करते हुए श्रम के महत्व को समझने की जरूरत है, क्योंकि बिना श्रम के संसार का कोई भी कार्य नहीं किया जा सकता और बिना शारीरिक श्रम किए तो स्वयं पृथ्वी पर बनने वाली अनमोल धरोहरों का भी निर्माण न होता । अत: मनुष्यता को यदि अपना उत्थान करना है तो उसे व्यावहारिक तरीके से श्रम के महत्व को समझते हुए श्रमदान को बढ़ावा देने की जरूरत है ।
सहानुभूति क्या है?
मनुष्य जाति के लिए सहानुभूति एक आवश्यक गुण है। ये गुण अन्य जीवो में भी होता है। कभी कभी एक जीव के दुखी होने से दूसरा भी दुखी प्रतीत होता है। दूसरे के दुःख को बिना किसी दिखावे या छल, कपट के उसे महसूस करना सहानुभूति है। जब हमारे दुःख या बुरे समय में कोई अन्य व्यक्ति सहानुभूति के साथ खड़ा होता है। तो वो डूबते के लिए तिनके जैसा होता है। दूसरों के प्रति सहानुभूति तभी प्रकट होती है जब कोई अन्य साथी व्यक्ति अपना कर्तव्य करते हुए अगर दुर्घटनाग्रस्त होता है, या उसके साथ प्राकर्तिक या सामाजिक आपदा आती है।
अगर आपके मन में किसी साथी अपराधी के प्रति सहानुभूति पैदा हो रही है, तो अपराधी के प्रति झुकाव रखने से पहले उसके सही-गलत तथ्यों पर अलग अलग स्रोतों से जानकारी ले। किसी भी प्रकार की धारणा सही न्याय नहीं करने देती। इसलिए अपराधी के प्रति धारणाओं से दूर रहे। जैसा की कोर्ट के जज करते है।
मानव धर्म क्या है :
मानव धर्म हमें संसार में परस्पर प्रेम, सहानुभूति और एक-दूसरे के प्रति सम्मान करना सिखाकर श्रेष्ठ आदर्शों की ओर ले जाता है। मानव धर्म हमें संसार में परस्पर प्रेम, सहानुभूति और एक-दूसरे के प्रति सम्मान करना सिखाकर श्रेष्ठ आदर्शों की ओर ले जाता है। मानव धर्म उस स्वच्छ व्यवहार को माना गया है जिसका अनुसरण करके सभी को प्रसन्नता और शांति प्राप्त हो सके। दूसरों की भावनाओं को न समझना और उनके साथ छल-कपट करना मानव धर्म नहीं है।
दूसरों पर दया करना और अपने मन, वचन और कर्म से प्राणिमात्र का हित करना ही मनुष्य का कर्तव्य है और धर्म भी। जब तक मनुष्य में दूसरों के लिए दया भाव जाग्रत नहीं होगा तब तक उसमें सेवा भाव का होना भी असंभव है। इंसान में दूसरों के प्रति सेवा, सहानुभूति, दया और परोपकार की भावना विकसित हो तभी उसमें सेवा की भावना पनप सकती है।
असत्य, लोभ, घृणा, ईष्र्या और आलस्य जैसे दुर्गुणों को त्यागकर ही मनुष्य दूसरों के प्रति सेवा भाव उत्पन्न कर सकता है। मनुष्य को हमेशा दूसरों का हित भी देखना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार की तरह समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह भी करना चाहिए। मनुष्य की सच्ची, स्वार्थरहित और निष्ठापूर्ण सेवाओं से कई बार हमारे समाज में बड़े-बड़े चमत्कार हुए हैं जिनसे देश के विकास के भौतिक और सांस्कृतिक पक्षों को बल मिला है। निस्वार्थ सेवा से व्यक्ति जटिल परिस्थितियों में भी विजय प्राप्त कर अपने समाज और देश की उन्नति में अमूल्य योगदान दे सकता है।
मानव हित कल्याण सेवा संस्था नागपुर
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Kosare Maharaj
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