शत्रु को कभी कमजोर न समझें : Kosare Maharaj

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शत्रु को कभी कमजोर न समझें : Kosare Maharaj




 व्यक्ति जब तक बुराइयों से घिरा रहता है :


और अवगुणों से युक्त रहता है उसके जीवन में सुख और शांति की हमेशा कमी बनी रहेगी सुख और शांति व्यक्ति के आचरण पर निर्भर करती है. व्यक्ति जब लोभ, क्रोध और अंहकार से युक्त हो जाता है तो उसके जीवन से सुख- शांति का लोप होने लगता है लालच सभी प्रकार के दुखों का एक मात्र कारण है जब व्यक्ति लोभ करने लगता है तो उसका सुख चैन गायब होने लगता है. लोभी व्यक्ति दूसरों से जलन करने लगता है उसकी प्रगति और समृद्धि से परेशान होने लगता है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. व्यक्ति को सदैव अपने कर्म और अपनी योग्यता पर भरोसा करना चाहिए और स्वयं कैसे सफल हो सकता है इस बारे में विचार करना चाहिए. लोभ रहित मनुष्य ही जीवन में सफलता प्राप्त करता है.

क्रोध व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है :

क्रोध में व्यक्ति सही और गलत का निर्णय नहीं ले पाता है. इसलिए क्रोध से व्यक्ति को दूर ही रहना चाहिए. अध्यात्म की शक्ति से क्रोध पर काबू पाया जा सकता है. परिश्रम और जीवन में अनुशासन से क्रोध को दूर किया जा सकता है. व्यक्ति को अंहकार से सदैव दूर रहना चाहिए. अंहकार व्यक्ति के कष्टों में वृद्धि करता है. अंहकार अपनों से दूर करता है. अंहकार में व्यक्ति असली सुख और शांति से वंचित हो जाता है. अंहकार को प्रेम और करूणा से नष्ट किया जा सकता है.


आप कोई भी कार्य क्षेत्र :

में लगातार सफल हो रहे हैं तो आपके शत्रु भी हर हाल में होंगे. इसलिए इनसे डरें नहीं बल्कि प्रेरक मानें और सही रणनीति बनाकर इनसे निपटने के लिए हमेशा तैयार रहें. जो व्यक्ति जीवन में सफलता को प्राप्त करता है, उसके निश्चित रूप से तमाम ज्ञात और अज्ञात शत्रु होते हैं. इसलिए ये बात हर किसी को दिमाग में रखनी चाहिए कि अगर आप किसी प्रतियोगिता में उतरे हैं तो आपके प्रतिद्वंदी हर हाल में साथ होंगे. कई बार ये लोग आपको असफल बनाने के लिए आपका अहित भी करने की कोशिश कर सकते हैं. लेकिन ऐसे लोगों से कभी डरना नहीं चाहिए. इन्हें प्रेरक मानना चाहिए और सजग रहते हुए अपना बचाव करना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए.


कई बार लोग अपनी सफलता के गुरूर में इतना मस्त हो जाते हैं : 


कि वो शत्रु या प्रतिद्वंदी को बहुत कमजोर समझने लगते हैं. ऐसी गलती कभी न करें. जो आपके साथ किसी मैदान में प्रतियोगिता के उद्देश्य से उतरा है, उसके पास भी निश्चित रूप से आपकी ही तरह कई तरह की जानकारी जरूर होगी. इसलिए कभी शत्रु को कमजोर न समझें. वर्ना नुकसान उठा सकते हैं. अपनी तैयारी लगातार करते रहें और प्रतिक्रिया कब देनी है इसकी रणनीति जरूर बनाकर रखें. क्रोध आपकी बुद्धि और विवेक को हर लेता है और आप ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से कोई न कोई गलती कर बैठते हैं. इसलिए याद रखिए कि आपका शत्रु आपको किसी न किसी प्रकार से उकसाकर क्रोध दिलाने की कोशिश कर सकता है. लेकिन आपको हर हाल में क्रोध से बचकर रहना है.


हिम्मत न हारें अगर आपका लक्ष्य बड़ा है :

तो उसके लिए तैयारी भी बड़ी करनी होगी और ऐसे लक्ष्य को प्राप्त करने में हर हाल में समय भी ज्यादा लगेगा. आपको इसके लिए खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रखना होगा और सही रणनीति बनाकर धैर्य पूर्वक आगे बढ़ना होगा. इसलिए कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. हमेशा धैर्य के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहिए. सफलता एक दिन निश्चित तौर पर मिलेगी.

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कोसारे महाराज :- संस्थापक व राष्ट्रीय अध्य्क्ष

मानव हित कल्याण सेवा संस्था नागपुर

 

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