अभ्यास के बल पर मूर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, अज्ञानी भी ज्ञानी हो जाता है।

सफल व्यक्ति वे होते हैं, जो अपने जीवन में कुछ अच्‍छा चाहते हैं। अच्छा चाहने के लिए खुश रहना जरूरी है। यदि आपके जीवन में आपने जो चाहा, वह अभी तक मिला नहीं है तो आप उदास और निराश रहने लगेंगे जबकि ऐसा करने से आपने जो चाहा है, उसका पास आना और मुश्किल हो जाता है। खुशी और चाहत दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। हमेशा खुश रहना सीखें। अभ्यास से यह संभव हो सकता है। खुश रहेंगे तो आप जीवन में जो भी सहज रूप से चाहेंगे, वह मिलता जाएगा। अत: खुशी-खुशी सपने देखो, अपना लक्ष्य बनाओ, उसके लिए योजना बनाओ और कार्य करो। कार्य करते रहो, करते रहो और करते रहो। परिणाम की चिंता मत करो। यदि परिणाम मनचाहा नहीं मिल रहा है ‍तो पता करें कि वह कौन-सी चीज है, जो आपको पीछे की तरफ खींच रही है फिर उससे अपना पीछा छुड़ाएं। पहले आप अपनी बाधा को हटाएं। यदि आप स्वस्थ हैं तो ही आपका जीवन है। अस्वस्थ काया में जीवन नहीं होता। व्यक्ति 4 कारणों से अस्वस्थ होता है : पहला मौसम-वातावरण से, दूसरा खाने-पीने से, तीसरा चिंता-क्रोध से और चौथा अनिद्रा से। मौसम और वातावरण आपके वश में नहीं, लेकिन घर और वस्त्र हों ऐसे कि वे आपको बचा लें। घर को आप वस्तु अनुसार बनाएं। हवा और सूर्य का प्रकाश भीतर किस दिशा से आना चाहिए, यह तय होना चाहिए ताकि वह आपकी बॉडी पर सकारात्मक प्रभाव डाले। खाना-पीना आपके हाथ में है अत: उत्तम भोजन और उत्तम जल जरूरी है। हर तरह के नशे से दूर रहने की बात भी आप जानते ही होंगे। आहार के साथ उपवास भी जरूरी है। उपवास के लिए विशेष दिन और माह नियुक्त हैं। चिंता और क्रोध करने की भी आदत हो जाती है शराब पीने की तरह। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि नशा करके व्यक्ति चिंता में तो हो ही जाता है और वह चिड़चिड़ा भी हो जाता है। ये दोनों ही आदतें आपके शरीर को जल्द से जल्द बूढ़ा बना देंगी और साथ ही आप अपने परिवार को भी खो देंगे। अब जहां तक चौथे कारण का सवाल है, ऐसे में कहना होगा कि उपरोक्त तीन है तो चौथा हो ही जाएगा। उत्तम नींद संजीवनी दवा के समान होती है। मानसिक द्वंद्व, चिंता, दुख, शोक, अनावश्यक बहस, अनावश्यक विचार आदि सभी से श्वासों की गति अनियंत्रित हो जाती है जिसके चलते नींद उड़ जाती है। इससे मुक्ति का सरल उपाय है प्राणायाम और ध्यान। हालांकि आप और कुछ भी कर सकते हैं। अभ्यास के बल पर मूर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, अज्ञानी भी ज्ञानी हो जाता है। इतिहास साक्षी है कि अभ्यास एवं परिश्रम के बल पर असंभव दिखाई देने वाले कार्य भी संभव हो जाते हैं। ऋषि-मुनियों की सिद्धियां, वैज्ञानिकों के आविष्कार, राजाओं की विजय गाथाएं- सब इसी का प्रमाण हैं कि यदि मनुष्य हिम्मत न हारे और निरंतर अभ्यास और प्रयास करता रहे तो फिर 'असंभव' शब्द के लिए कहीं स्थान नहीं। बार-बार एक ही काम को कर उसमें निपुण होने का प्रयास ही अभ्यास है।  अभ्यास एक ऐसा माध्यम है जिससे कठिन से कठिन कार्य में कुशलता पाई जा सकती है। जीवन में आप जो भी अच्छा जानते हैं और करना चाहते हैं, उसका अभ्यास करते रहिए। जीवन में अभ्यास की लगातार जरूरत पड़ती रहती है।
( कोसारे महाराज )

Post a Comment

0 Comments