सेवा करने का अपना अलग आनंद होता है। एक बार सेवा करने की आदत पड़ जाती है तो फिर छूटती ही नहीं। जैसे कि हम बचपन से सुना या पढ़ा करते हैं कि सेवा सभी धर्मों का मूल है। अगर हम सेवा नहीं कर सकते तो हमारा यह मानव जीवन निरर्थक है। सेवा भाव के जरिए हम समाज को नई दिशा दे सकते हैं। असल में हमारा सेवा भाव ही हमारे जीवन में कामयाबी की असल नींव रखता है। हम सभी महान कार्य तो नहीं कर सकते लेकिन नि:स्वार्थ सेवा कर अपने समाज व परिवार का नाम जरूर रोशन कर सकते हैं। सेवा भाव को अपने हृदय के भीतर विकसित करना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। सामाजिक स्तर पर भी सभी को इस ओर लगातार प्रयास करने चाहिए, जिससे देश व समाज का भला हो सके। सेवा मानव की ऐसी सर्वोत्तम भावना है, जो मानव को सच्चा मानव बनाती है। मानवता के प्रति प्रेम को किसी देश, जाति या धर्म की संकुचित परिधि में नहीं बांधा जा सकता। जिस व्यक्ति के मन में ममता, करुणा की भावना हो, वह अपना समस्त जीवन मानव सेवा में अर्पित कर देता है। ठीक इसी भाव से हम सबको अपना जीवन समाज हित में आगे बढ़ाना चाहिए। सेवा भाव मनुष्यों के साथ ही पेड़-पौधों व जीव-जंतुओं के प्रति रखते हुए हम इसे वृहद स्तर पर जनोपयोगी बना सकते हैं। सेवा भाव अतुलनीय संपदा है जिसे लगातार ¨सचित करना हम सभी की नैतिक एवं सामाजिक जिम्मेदारी है। सेवा करने से हमेशा अच्छे संस्कार हमें मिलते हैं। ¨जदगी में कामयाबी के लिए सेवा और सदाचार दोनों का ही बहुत बड़ा योगदान है। जो व्यक्ति सेवा और सदाचार से दूर रहता है, वह कभी सफल नहीं हो पाता। ¨जदगी को सफल बनाने के लिए यह बड़ा मार्गदर्शक है। हम सभी को अपने जीवन में सदाचार व सेवा भाव को विकसित करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।
( कोसारे महाराज )
0 Comments
Hello friends please spam Comments na karen, aapko Post kaisi lagi aap jarur batayenge aur post share jarur kare