मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है। उस काम को, जिसे तुम दुसरे व्यक्ति में बुरा समझते हो, स्वयं त्याग दो परंतु दूसरों पर दोष मत लगाओ। पाप एक तरह का अँधेरा है अज्ञानता के कारण से पाप के भागिदार इंसान बनते चले जाते हैं लेकिन ज्ञान के प्रकाश से यह सब मिट जाते है। विजेता बोलते हैं कि मुझे कुछ करना चाहिए, जबकि हारने वाले बोलते हैं कि कुछ होना चाहिए। अभिमान दिखाने के बजाय विनम्र रहने से अधिक लाभ होता है। दूसरों के बारे में उतना ही बोलो जितना खुद के बारे में सुन सको। इच्छा ही सब दूखो का मूल है। बुद्धिमान व्यक्ति दूसरों की गलती से सीखता है। इंसान को बहुत बड़ा सोचना चाहिए , और जल्दी सोचना चाहिए , आगे की सोच को सोचो क्योंकि विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है।अपनी स्वयं की क्षमता से काम करो, दूसरों पर निर्भर मत रहो। जिसे धीरज है और जो मेहनत से नहीं घबराता, कामयाबी उसकी दासी है। जो अपने लक्ष्य के प्रति पागल हो जाता है, उसे सफलता निश्चित मिलती है। मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अज्ञान है। आपका आज का पुरुषार्थ आपका कल का भाग्य है।
( कोसारे महाराज )
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