अपने दुखों का कारण समझने में सक्षम हो जाएं तो जीवन बने सहज और सुंदर

अगर हम अपने दुखों का  कारण समझने में सक्षम हो जाएं तो हमारे लिए उन्हें दूर करना भी बहुत आसान हो जाएगा। इसके बाद जीवन में परम शांति होगी और हमारे चारों ओर खुशियों के फूल खिलेंगे। आपने  कभी सोचा है कि आख‍िर हम परेशान क्यों होते हैं? कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति का मन बहुत उदास होता है पर वह इसकी असली वजह समझ नहीं पाता। अदरअसल हम अपने आसपास के लोगों, स्थितियों और घटनाओं  से सबसे ज्य़ादा परेशान होते हैं। सभी को ऐसा लगता है कि हम अपने करीबी लोगों से प्रेम करते हैं, फिर भी हमारे जीवन में इतनी अशांति क्यों है? दरअसल व्यक्ति जिसे प्रेम समझता है, वह उसका विकृत स्वरूप है। ऐसा प्रेम ईर्ष्या-द्वेष नफरत, लालच, डर, चिंता, तनाव और अवसाद के रूप में नज़र आता है। ऐसी सभी नकारात्मक भावनाएं प्रेम के बिलकुल विपरीत होती हैं। इसी तरह शांति भी केवल विवाद या संघर्ष का अभाव ही नहीं, बल्कि यह एक सकारात्मक आंतरिक भावना है। वास्तव में हमें अपनी आंतरिक शांति का आभास होना चाहिए। सच्ची समृद्धि की निशानी कभी खत्म न होने वाली मुस्कान है, हमें उसे बाहर निकलने का मौका देना चाहिए। जीवन में हमें तीन स्तरों पर शांति की ज़रूरत होती है-वातावरण, मन और आत्मा की शांति। जो व्यक्ति इन तीनों स्तरों पर शांति हासिल कर लेता है, उसके जीवन से समस्त दुखों का अंत हो जाता है। हालांकि मानव मन की प्रवृत्ति ऐसी है कि वह आसपास की अपूर्णता को पकड़कर उसमें अटक जाता है। इसी प्रक्रिया में व्यक्ति अपना आपा खो देता है और मन की शांति भी चली जाती है। हमें इन सब चक्रों से निकलकर स्वयं को अंदर से शांत और सुदृढ़ बनाना है। यहां कुछ ऐसे प्रयोग दिए जा रहे हैं, जिनकी मदद से व्यक्ति का मन विपरीत परिस्थितियों में भी मज़बूत और संयत बना रहता है।
वर्तमान में जीना सीखें
यदि आप अपने मन को जीत लेते हैं तो इसका सीधा मतलब यही है कि आप दुनिया को भी जीत सकते हैं। मन आपकी चेतना में भावनाओं की अभिव्यक्ति है और इसमें विचार निरंतर बने रहते हैं। मन ही हमारे दुखी और खुश रहने का कारण है। जब मन वर्तमान में रहता है, तब सब कुछ बहुत सुंदर लगता है लेकिन जब दुनिया की अच्छी से अच्छी जगह पर भी हमारा मन मलिन हो तो हम निश्चित रूप से दुखी होंगे। हमें योग, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से अपने मन को वर्तमान में लाने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसी क्रियाएं हमें नेगेटिविटी से बचाती हैं। इनके अभ्यास से हमारी क्षमताओं में वृद्धि होती है, नर्वस सिस्टम मज़बूत होता है और हमारे मन से हर तरह के बुरे और नुकसानदेह विचार दूर हो जाते हैं। कुल मिलाकर ध्यान से व्यक्ति का संतुलित और सर्वांगीण विकास होता है। सेवा का सुख
आमतौर पर लोग केवल अपनी ही समस्याओं के बारे में सोचते हैं लेकिन कभी आप निजी लाभ-हानि की सोच से परे हट कर नि:स्वार्थ भाव से किसी अजनबी की सेवा करें, बदले में उससे कुछ भी पाने की आशा न रखें। ऐसी सेवा से मिलने वाली खुशी अनमोल होती है। इससे आपको खुद ही महसूस होगा कि इस संसार में दूसरे लोग आपसे भी ज्य़ादा दुखी और परेशान हैं। ऐसे में आपको अपनी समस्याएं बहुत छोटी लगने लगेंगी। जैसे ही आपको अपनी समस्याएं छोटी लगती हैं, वैसे ही आपके अंदर यह आत्मविश्वास आ जाता है कि मैं अपनी समस्याओं का हल ढूंढ सकता/सकती हूं। अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो उन लोगों की सेवा कीजिए, वाकई जिन्हें आपकी ज़रूरत है।
( कोसारे महाराज )

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