क्रोध और लोभ से दूर रहें

किसी काम को आरंभ करो तो 3 बातों का विशेष ध्यान रखो। पहला कि यह तुम क्यों करना चाहते हो? दूसरा इस काम का क्या नतीजा होगा? और क्या इसमें आपको सफलता मिलेगी? हजारों पशुओं के बीच भी बछड़ा अपनी माता के पास ही आ जाता है, वैसे ही आपके कर्मो के फल 
भी इस जगत में मौजूद होते हैं जिसे तुम्हें ढूंढना नहीं होता है वह बछड़े के समान पास आ ही जाता है। लोभ और क्रोध से जीवन का आनंद नष्ट होता है. लोभ के कारण व्यक्ति अपने सुख चैन को गवां देता है. लोभ सभी प्रकार के दुखों का मूल है. लोभ से दूर रहना चाहिए. लोभ व्यक्ति को स्वार्थी बनाता है. स्वार्थी व्यक्ति किसी का प्रिय नहीं होता है. ऐसा व्यक्ति संवेदनाओं से रहित होता है. लोभ के कारण वह जीवन को इतना जटिल बना लेता है कि वह सच्चे सुख से दूर हो जाता है. वहीं क्रोध व्यक्ति का नाश करता है. क्रोध व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है, इससे दूर रहने का प्रयास करना चाहिए. क्रोध करने वाला व्यक्ति खुद का तो नुकसान करता ही है, साथ ही दूसरों के जीवन को भी कष्ट में डाल देता है. इसलिए इन दोनों बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए.
( कोसारे महाराज )

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