आपके पास आत्मा नहीं है। आप खुद आत्मा है, आपके पास एक शरीर है। एक समझदार व्यक्ति यह जानता है की, आँखे दो तरह से धोका खा सकती हैं, प्रकाश से अंधकार में आने पर और अंधकार से प्रकाश में जाने पर; और वह यह जान सकता है की आत्मा के साथ भी एसा ही होता है। कोई आदमी अपनी आत्मा से बेहतर शांत और सुकून का स्थान नहीं पा सकता। अपने सारे विज्ञान की सहायता से क्या आप बता सकतें हैं की मेरी आत्मा के अन्दर प्रकाश कहाँ से और कैसे आता है?महान विचार ह्रदय से आतें हैं, मस्तिष्क से नहीं। इसीलिए, परस्पर जोड़ने वाले विचार आत्मा के होते हैं ज्ञान-स्वरूप आत्मा न तो जन्म लेती है, न मरती है. यह न तो स्वयं किसी की हुई है, न इससे कोई भी हुआ है. यह अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है. शरीर का नाश होने पर इसका नाश नही किया जा सकता.
( कोसारे महाराज )
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