वह ना कागज रखता है ना किताब रखता है फिर भी सारी दुनिया का हिसाब रखता है।ईश्वर के चुने हुए लोग ही दूसरों के दर्द चुनते हैं यह हर किसी के बस की बात नहीं होती।

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             इंसान ने समय से पूछा कि मैं हार क्यों जाता हूं, समय ने कहा कि धूप हो या छांव हो, काली रात हो या बरसात हो, चाहे कितने भी बुरे हालात हो मैं हर वक्त चलता रहता हूं इसलिए मैं जीत जाता हूं। तू भी मेरे साथ चल कभी नहीं हारेगा।

            वह ना कागज रखता है ना किताब रखता है फिर भी सारी दुनिया का हिसाब रखता है।
पके हुए फल की तीन पहचान होती है, एक तो वह नरम हो जाता है, दूसरा वह मीठा हो जाता है तीसरा उसका रंग बदल जाता है। जिसमें यह लक्षण ना हो वह कभी भी पका नहीं हो सकता।

         इसी तरह परिपक्व व्यक्ति की भी तीन पहचान होती हैं पहली उसमें नम्रता होती हैं, दूसरी उसकी वाणी में मिठास होती है, उसके चेहरे पर आत्मविश्वास का रंग होता है।
( कोसारे महाराज )

 

कोसारे महाराज :- संस्थापक व राष्ट्रीय अध्य्क्ष
मानव हित कल्याण सेवा संस्था नागपुर

 

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