सेवा करो तो करने का दिखावा मत करोनिस्वार्थ सेवा का भाव अगर मन में नहींतो सेवादार होने का दावा मत करो

क्या समाज सेवा मात्र समाजसेवियों की ज़िम्मेदारी है?
उन समाजसेवियों का सहयोग करना हर नागरिक की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए
सेवा का भाव रखते हो तो निस्वार्थ रखिए प्यार का भाव रखते हो तो दिल से रखिए
जिन रिश्तों में रहता है स्वार्थ का भाव उन रिश्तों से हमेशा दूरी रखिए
ना धन चाहिए ना दौलत चाहिए ना ही गाड़ी ना मकान चाहिए सेवा करने के लिए तो केवल निस्वार्थ सेवा का भाव चाहिए जिनके अंदर इंसानियत की भावनाएँ छुपी होती है निस्वार्थ सेवा वही करते हैं
वरना इंसान तो रिश्तो को तभी तक पहचानता है जब तक रिश्ते में स्वार्थ छुपा होता है
( कोसारे महाराज )

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